मध्यप्रदेश में भाजपा ने जैसे ही टिकटों की पहली सूची जारी की, सीएम रह चुके गौर की टिकट होल्ड करने की बात सामने आई। जिसके बाद हंगामा मच गया।
सत्ताधारी भाजपा को इस कदम की वजह से काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी मुसीबत भाजपा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने खड़ी कर दी है। वह अपनी बढ़ती उम्र के बावजूद चुनाव लड़ना चाहते हैं।
हालांकि वह अपनी बहू कृष्णा गौर के लिए गोविंदपुरा सीट पर रास्ता बनाने के लिए तैयार हैं।
गोविंदपुरा विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां से 88 साल के बाबूलाल गौर दशकों तक चुने जाते रहे हैं। इस सीट के लिए बहुत से दावेदार हैं हालांकि भाजपा ने अभी इसके लिए किसी का नाम फाइनल नहीं किया है।
गौर ने अपना पहला चुनाव निर्दलीय के तौर पर लड़ा था और वह इसी सीट से 10 बार विधायक बन चुके हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं और कृष्णा जी अलग-अलग सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे अगर उन दोनों में से किसी को गोविंदपुरा से टिकट नहीं दिया गया।’
बाबूलाल ने कहा, ‘जिस तरह से मधुमक्खियां फूलों की तरफ आकर्षित हो जाती हैं, उसी तरह वह गोविंदपुरा की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।’
उन्होंने यह बातें पार्टी के उन साथियों के लिए कहीं जो उनकी बढ़ती उम्र के कारण इस सीट से टिकट पाना चाहते हैं। वह उनकी बहू की उम्मीदवारी का भी विरोध कर रहे हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि इससे पार्टी का परिवारवाद के खिलाफ स्टैंड कमजोर हो जाएगा।
महापौर आलोक शर्मा और पार्टी के महासचिव वीडी शर्मा उन मुख्य दावेदारों में से हैं जो गोविंदपुरा से टिकट चाहते हैं।
विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार गौर को अपने पाले में खींचने की कोशिश कर रही है। गौर ने कहा, ‘मैं केवल भाजपा से वह मांग रहा हूं जो मेरा अधिकार है।’
उन्होंने दावा किया कि पीसीसी प्रमुख कमलनाथ और दूसरे नेताओं ने उन्हें फोन किया था। उन्होंने कहा कि वह विपक्षी पार्टी में शामिल नहीं होंगे लेकिन बहू के बारे में निश्चित नहीं हैं। कृष्णा गौर भोपाल की पूर्व महापौर हैं। उनका कहना है कि वह पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी।