पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में भाजपा के सत्ता में आने के बाद हिंदूवादी संगठन सक्रिय हो गए हैं। कभी वामपंथियों का गढ़ रहे त्रिपुरा में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतर कर गौहत्या के खिलाफ रैली निकाली।
रविवार को किया गया प्रदर्शन त्रिपुरा के लोगों के लिए अप्रत्याशित था। ‘न्यूज 18’ के अनुसार, इसमें बजरंग दल और वीएचपी के 600 से ज्यादा समर्थकों ने हिस्सा लिया था। ये लोग ‘देश नहीं बांटने देंगे, गाय नहीं काटने देंगे’ का नारा लगा रहे थे। इस दौरान हर तरफ केसरिया झंडा दिख रहा था।
इन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पश्चिमी त्रिपुरा में स्थित जॉयनगर गांव के स्थानीय लोगों को गौहत्या न करने को कहा। ऐसा न करने पर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी। इसके अलावा इस इलाके में रहने वाले मुस्लिमों को अपनी राष्ट्रीयता प्रमाणित करने के लिए आधार कार्ड भी दिखाने को कहा था। इस इलाके में कथित तौर पर मवेशियों को काटने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
वीएचपी के संगठन सचिव अमल चक्रवर्ती ने बताया कि माकपा के शासनकाल में जॉयनगर में गौहत्या को प्रोत्साहन दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘यह हिंदुओं का इलाका है, ऐसे में हम लोग उन्हें अपने लोगों को डराने-धमकाने और गौ माता की हत्या करने नहीं देंगे। यदि ये लोग अवैध तरीके से पशुओं को काटना जारी रखेंगे तो हम लोग कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इन लोगों के पास आधार कार्ड भी नहीं है।’
विपक्षी दलों ने की आलोचना
त्रिपुरा की विपक्षी पार्टियां माकपा और कांग्रेस ने बजरंग दल और वीएचपी के कदम की तीखी आलोचना की है। माकपा नेता पबित्र कार ने आरोप लगाया कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद से त्रिपुरा समेत पूरे भारत में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ी है।
उन्होंने कहा, ‘वीचपी द्वारा रविवार को निकाली गई रैली के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। वे इससे हतप्रभ हैं। हमारे राज्य में अमन-चैन बनाए रखने की जिम्मेदारी सरकार की है।’ कांग्रेस ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
पार्टी के राज्य प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य ने कहा, ‘पशुओं को काटने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लेने का काम राज्य सरकार का है। पशुओं को अवैध तरीके से काटने के मामले में वीचपी और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को कानून अपने हाथ में लेने से पहले पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
अल्पसंख्यक समुदाय को यूं डराया धमकाया नहीं जाना चाहिए। मैं व्यक्तिगत तौर पर अवैध बूचड़खानों का विरोधी हूं।’