नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर की आधी रात से 500-1000 के पुराने नोट बैन लगा दी है। उसके बाद नोटबंदी के विरोध में एकजुट नजर आ रहा विपक्ष भी अब बंटता दिखाई दे रहा है। 28 नवंबर को नोटबंदी के विरोध में आक्रोश दिवस के आह्वान से भी कुछ पार्टियों ने खुद को अलग कर लिया है। ममता बनर्जी ने तो बाकायदा ट्वीट कर कहा कि विपक्ष के बैठक में आक्रोश दिवस पर कोई बात नहीं हुई थी इसलिए उनकी पार्टी इस बंद में शामिल नहीं होगी।
पीएम मोदी के धुर विरोधी माने जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी के कदम का समर्थन करते हुए कहा था कि नोटबंदी का यह कदम कोई साधारण कदम नहीं, बहुत ‘साहसिक कदम’ है। लेकिन इसे लागू करने के लिए तैयारी और की गई होती तो किसी को कठिनाई नहीं होती। नीतीश के समर्थन के बाद जेडीयू ने भी आक्रोश दिवस से भी खुद को अलग कर लिया है।
इससे पहले ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को नोटबंदी को लेकर चेतावनी दी थी कि अगर तीन दिनों के अंदर नोटबंदी का फैसला वापस नहीं लिया गया तो 28 नवंबर से विरोध में आंदोलन शुरू किया जाएगा। हालांकि उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया था कि यह आंदोलन किस तरह का होगा। दिल्ली में विरोधी दलों के बैठक में बंद को लेकर कोई भी चर्चा नहीं हुई थी, न ही कोई फैसला किया गया था। हम कोई भी बंद का समर्थन नहीं करते।