नई दिल्ली : देश भर में विमुद्रीकरण के फैसले को लागू करने के बाद से ही इस फैसले की आलोचना करने वालों में न सिर्फ विपक्ष के नेता शामिल हैं। बल्कि अब बैंक के लोगों ने भी अपनी आवाज उठाना शुरु कर दी है।
विमुद्रीकरण के फैसले के बाद से बैंकों के बाहर खराब हुए हालातों पर पर अब आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल निशाने पर हैं। आल इंडिया बैंक एम्पलॉयिज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विश्वास उतागी ने उर्जित पटेल से उनका इस्तीफा मांगा है। विश्वास उतागी ने इस फैसले के लागू होने के बाद एक नियामक संस्था के तौर पर आरबीआई के फेल होने की बात कही है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद से आजतक आरबीआई के गवर्नर ने अपनी बात तक लोगों से नहीं कही है। उतागी ने कहा कि पिछले दो सप्ताह से बैंक के कर्मचारी सुबह आठ बजे से देर रात तक काम कर रहे हैं। पर आरबीआई की तरफ से हमें कोई सहयोग नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि देश भर में 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारी दिन रात काम कर रहे हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से नोटबंदी का फैसला लागू किए जाने पर ऑल इंडिया बैंकर्स यूनियन ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल का इस्तीफा मांगा था। यूनियन ने उन पर बिना तैयारी के फैसला लागू करवाने का भी आरोप लगाया था। यूनियन के उपाध्यक्ष थॉमस फ्रैंको ने आरबीआई गवर्नर को बिना तैयारी के फैसला लेने और आर्थिक तंगी के लिए जिम्मेदार ठहराया। यह यूनियन देश के राष्ट्रीय, निजी सेक्टर, कोऑपरेटिव और क्षेत्रीय बैंकों के 2.5 लाख सीनियर बैंक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है।
उन्होंने कहा, ’11 बैंक अधिकारियों समेत तमाम लोगों की हुई मौतों की नैतिक जिम्मेदारी आरबीआई गवर्नर को लेनी चाहिए और उन्हें पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। वर्तमान आरबीआई गवर्नर सही फैसले लेने में विफल रहे हैं जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ा है।’ सीनियर बैंकर ने 500 रुपए की जगह 2000 रुपए का नोट पहले उतारने पर भी सवाल किया और कहा, ‘आरबीआई गवर्नर ने 200 के नोट पर साइन किए। उनकी टीम को इस बात का अहसास क्यों नहीं हुआ कि 2000 रुपए के नोट का साइज 1000 रुपए के नोट से छोटा है। इससे दो लाख बैंक एटीएम मशीनों को एक साथ कैसे बदला जा सकेगा?’ फ्रैंको ने आरबीआई को कोसते हुए कहा कि नोटबंदी के मामले में यह पूरी तरह विफल रहा है और सरकार को सही ढंग से सलाह भी नहीं दे पाया।