बिहार के दक्षिणी-पूर्वी शहर और सिल्क सिटी नाम से मशहूर भागलपुर में 295 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। जिला प्रशासन के अलग-अलग दफ्तरों द्वारा दर्ज कराई गई तीन एफआईआर के मुताबिक यहां की दो राष्ट्रीयकृत बैंक और एक निजी एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की मिलीभगत से ये फर्जीवाड़ा हुआ है।
इनमें से 270 करोड़ रूपए के करीब जिला भू-अर्जन विभाग, 15 करोड़ रुपए जिला कोषागार और 10 करोड़ 26 लाख के करीब मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के हैं। इस रकम को संबंधित खातों में जमा न कर सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के बैंक खाते में जमा कर दी गई। जहां से रकम गायब है। ये तीनों प्राथमिकी में से एक सोमवार को और दो बुधवार देर शाम कोतवाली थाने में दर्ज कराई गई है।
हैरत की बात है कि यह खेल साल 2009 से पहले से चल रहा है। इस बीच 10 डीएम आए और तबादला होकर गए। इतना ही नहीं 2015 में सरकारी ऑडिट भी हुआ। बावजूद इसके फर्जीवाड़े का कहीं जिक्र तक ऑडिट रिपोर्ट में नहीं है। जब कि 10 करोड़ 26 लाख की निकासी तो 27 सितंबर से 30 सितंबर 2014 के बीच हुई है।
पटना से बुधवार शाम को आर्थिक अपराध के आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार के नेतृत्व में आई पांच सदस्यीय टीम आते ही गहन जांच में लगी है। इनके सहयोग में भागलपुर रेंज के आईजी सुशील खोपड़े, डीआईजी विकास वैभव, एसएसपी मनोज कुमार लगे हैं।
छापेमारी कर पुलिस की अलग-अलग टीमें सुराग ढूंढ़ने में लगी है। नाजिर राकेश कुमार झा से गुरूवार को एसएसपी आवास पर पूछताछ की गई। इधर डीआईजी ने इंडियन बैंक के जोनल मैनेजर डीजीएम बुद्ध सिंह और स्थानीय शाखा के सहायक प्रबंधक परमानन्द से सर्किट हाउस में बैंकिग नियमों की जानकारी ली लेकिन पूछताछ करने वाले कोई भी अफसर पत्रकारों को कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं।