चेन्नई- बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की मुश्किलें बढ़ गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में उनके द्वारा दायर हलफनामे को झूठा पाया गया है। इसे धोखाधड़ी बताया गया है और इसके चलते अनुराग ठाकुर को जेल भी जाना पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से बोर्ड को संचालित करने के लिए नाम मांगे और बोर्ड तथा ठाकुर को अपना जवाब पेश करने के लिए सात दिनों का समय दिया गया है। लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में असमर्थता जता रही बीसीसीआई को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहली नजर में अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में झूठे तथ्य रखे और कोर्ट के आदेश की अवमानना की गई है।बताया जा रहा है कि अनुराग ठाकुर ने कोर्ट में झूठा हलफनामा दायर किया है, जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा है कि क्या बीसीसीआई चीफ अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य रखे?
एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दिए शपथपत्र में झूठ कहा था कि उन्होंने बीसीसीआई चेयरमैन के रूप में शशांक मनोहर से विचार लिया था। ठाकुर ने सुधारों की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई। एमिक्स क्यूरी ने वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाए जाने की वकालत की।
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को बीसीसीआई को जस्टिस लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें लागू करने का आदेश दिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई ने 16 अगस्त को पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
बीसीसीआई की ओर से दाखिल याचिका में गुहार लगाई गई थी कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर फिर से विचार करे और मामले में सुनवाई के लिए 5 जजों की बेंच का गठन किया जाए। बीसीसीआई और उसकी स्टेट असोसिएशंस ने जस्टिस लोढ़ा कमिटी की सभी सिफारिशें मानने में अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
इसी मामले में कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस मामले पर कोर्ट को अब यह तय करना है कि क्या क्रिकेट के लिए बीसीसीआई प्रशासक नियुक्त किया जाए या फिर बीसीसीआई को और वक्त दिया जाए। इससे पहले लोढ़ा पैनल की सिफारिशें न मानने तक बीसीसीआई द्वारा राज्य क्रिकेट संघों को किसी भी तरह का फंड जारी करने पर रोक है।