सिवनी मालवा – माता रानी के शेर बनकर नृत्य करने की परम्परा अब लुप्त होते जा रही है, बैसे मान्यता के शेर वन रहे हे परन्तु मॅहगाई और समय अभाव के कारण शेर कम ही देखनेे को मिलते है, वर्षो पहले शेर की वनकर नाचने की प्रतियोगिताएं हुआ करती थी और उसमें लोग बढ चढकर भाग लेते थे परन्तु अब बहुत कम नाचते शेर देखने को मिलते है,
बानापुरा भवानी दुर्गा मण्डल सदस्यों ने परम्परा को कायम रखा
बानापुरा में परम्परा को कायम रखने के लिए भवानी दुर्गा मण्डल बानापुरा के सदस्यों द्वारा प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी दो दर्जन से अधिक शेर बनाकर शेर नृत्य की परम्परा को कायम रखा है, शेर वनने के लिए मिलने वाली सामग्री मंहगाई के कारण मिलना कठिन होती है परन्तु समिति सदस्यों के द्वारा दूर दूर से जुगाड कर सामग्री बुलाई जाती है और शेर वनाये जाते है,
बच्चों ने शेर वनकर मनमोहक नृत्य किया
इस वर्ष करीव दो दर्जन से अधिक शेर बनाये गये उन सभी शेरों में कुछ मान्यता के शेर वने और कुछ परम्परा को निभा रहे थे जिनमें बच्चे भी शामिल थे, सभी शेरों के द्वारा माता रानी के दरबार के सामने मनमोहक नृत्य किया और मातारानी के सामने मत्था टेका और आर्शीवाद लिया, बाजार में भी शेर के नृत्य का शानदार प्रदर्शन किया जिसे देखने भारी भीड लगी रही और नागरिकों के द्वारा पुरस्कृत भी किया गया, समिति सदस्यों ने बताया कि करीब 35 बर्षो से निरन्तर बच्चों को शेर का पहनावा पहनाकर शेर वनाया जाता है और रंग रौगन कर पट्टे डालकर मुखेटा लगाकर सजाया जाता है पश्चात मातारानी के समक्ष नृत्य किया जाता हे जिसे देखने नागरिकों की भीड लग जाती है, शेर का कर्तव्य देखने के लिए बच्चों के सथ ही बुजुर्गो की भीड लगी रहती है,
रिपोर्ट : – विरेंद्र तिवारी