भोपाल, मध्यप्रदेश में बीड़ी उद्योग में काम करने वाले औसतन 14 मजदूरों के रोजगार के एवज में बीड़ी पीने से हर साल एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। राज्य के बीड़ी उद्योग में सात लाख तीन हजार मजदूर काम करते हैं और बीड़ी पीने से हर साल 48 हजार 100 की जान चली जाती है। वहीं देश में बीड़ी पीने से पांच लाख 80 हजार लोग काल के गाल में समा जाते हैं।
यह खुलासा किया है स्वास्थ्य जगत में सक्रिय संगठनों से जुड़े विशेषज्ञों ने। तंबाकू के सेवन पर रोक लगाने पर काम करने वाले संबध हेल्थ फाउंडेशन के ट्रस्टी संजय सेठ का कहना है कि तंबाकू उत्पादों पर भारी कर लगाकर इसके प्रयोग को रोकना सबसे कारगर तरीकों में से एक है। लेकिन वर्षो से बीड़ी पर सबसे कम कर लगाया जाता है, क्योंकि इसके लिए तर्क दिया जाता है कि बीड़ी उद्योग से लाखों लोगों का जीवनयापन होता है।
जीएसटी में भी बीड़ी पर 18 प्रतिशत कर लगाने की बात हो रही है, जो अन्य तंबाकू उत्पादों पर लगाए जाने वाले 28 प्रतिशत कर और सेस की तुलना में बहुत ही कम है। वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिमस (वीओटीवी) के प्रभारी व कैंसर सर्जन डॉ़ टी़ पी़ शाहू का कहना है कि जितने लोग बीड़ी उद्योग में लगे हैं, उससे अधिक हर साल लोगों की मौत बीड़ी के सेवन से हो रही है। उन्होंने आगे कहा, “बीड़ी पीने से कैंसर की जद में आए मरीजों को रोज देखते हैं, इसलिए उन्हें बीमारी के दंश का अंदाजा है।
इस बीमारी से परेशानी न सिर्फ मरीज को झेलना पड़ती है, बल्कि इससे मरीज का पूरा परिवार भी बर्बाद हो रहा है। किसी भी हाल में बीड़ी के उपभोग को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। बीड़ी भी सिगरेट की तरह ही खतरनाक है और इसे जीएसटी के अंतर्गत अवगुण पदार्थो की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।” डॉ़ शाहू ने बताया कि ब्रिटिश मेडिकल जरनल (बीएमजे) 2014 के अनुसार, राज्य में बीड़ी उधोग से केवल सात लाख तीन हजार 487 लोगों को ही रोजगार मिला है। योजना आयोग के रोजगार आंकड़ों के अनुसार, राज्य में केवल 2.50 प्रतिशत लोगों को बीड़ी उद्योग में रोजगार मिला हुआ था। इससे इस उत्पाद से मिले रोजगार के महत्व का पता चलता है।
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी वर्ष 2012-13 की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार राज्य में तंबाकू पर वैट से केवल 347 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी, जबकि तंबाकू के कारण पैदा हुई बीमारियों पर 1373 करोड़ रुपये खर्च किए गए। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) के अनुसार प्रदेश में 1़9 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं।
इनमें 24.8 लाख सिगरेट और 65.3 लाख लोग बीड़ी पीते हैं। इसके साथ ही 1.5 करोड़ लोग ऐसे भी हैं जो धुआं रहित तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते हैं। सभी प्रकार के तंबाकू सेवन के कारण हर साल 90 हजार लोगों की मौत होती है।” मुंबई टाटा मेमोरियल अस्पताल के कैंसर के सर्जिकल प्रोफेसर डॉ़ पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि बीड़ी पीने से होने वाली मौतों और परेशानियों की तुलना रोजगार के तर्क को देकर नहीं की जा सकती।
उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के अनुसार देश में हर साल बीड़ी पीने से 5.8 लाख लोगों की मौत होती है। उन्होंने बताया कि यह धारणा गलत है कि बीड़ी उद्योग असंगठित क्षेत्र है और इसमें बहुत भारी संख्या में लोग काम करते हैं। दरअसल, बीड़ी उद्योग एक बहुत ही अच्छी तरह से संगठित क्षेत्र का उद्योग है और हकीकत तो यह है कि बीड़ी मजदूर बीड़ी उद्योग द्वारा दुष्प्रचार का शिकार बने हुए है, जिसमें कहा जाता है कि बीड़ी उद्योग असंगठित क्षेत्र है। सभी चिकित्सकों ने वित्तमंत्री से जीएसटी के अंतर्गत बीड़ी को आवश्यक रूप से अवगुण पदार्थो की श्रेणी में रखने की मांग की है। आईएएनएस