केंद्र की मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के उद्देश्य से ट्रिपल तलाक पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला लिया। इसके बाद से ही इस मुद्दे को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही। अलग-अलग लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। हालांकि, मोदी सरकार ने तीन तलाक पर लोकसभा में बिल पेश कर दिया है।
आपको बता दें भारत कोई पहला देश नही जहां ट्रिपल तलाक को बड़ा कदम उठाया जा रहा है। भारत से पहले दुनिया के 22 ऐसे देश हैं जहां तीन तलाक पूरी तरह बैन है।
सबसे ख़ास बात यह है कि इस सूची में पाकिस्तान, बांग्लादेश, सीरिया सहित कई मुस्लिम देश भी हैं। प्रेरणा लेने वाली बात यह है कि कई देशों में तो मुस्लिम जजों की खंडपीठ ने महिलाओं का दर्द समझा और उनकी याचिका को स्वीकारते हुए तीन तलाक को बैन कर दिया।
आइए एक नजर में तीन तलाक से जुड़े दुनिया के दूसरे देशों के मामलों के बारे में जानते हैं।
अगर ट्रिपल तलाक की बात करें तो, मिस्र दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां तीन तलाक को पहली बार बैन किया गया था।
बता दें साल 1929 में मुस्लिम जजों की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दे दिया था। साल 1929 में ही मिस्र को नजीर मानते हुए सूडान की अदालत ने अपने देश में तीन तलाक को बैन कर दिया।
इस मामले आगे है पकिस्तान
1947 में भारत और पाकिस्तान एक साथ अलग हुए लेकिन, तीन तलाक को बैन करने में हमारा पड़ोसी हमसे कई कदम आगे है।
दरअसल, पाकिस्तान में सन 1956 में ही तीन तलाक को बैन कर दिया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने 1955 में पहली पत्नी को तलाक दिए बिना अपनी सेक्रेटरी से शादी कर ली थी।
इस घटना के बाद विरोधी सुर उमड़ पड़े और देशभर की महिलाएं उठ खड़ी हुईं। इसके बाद तीन तलाक को बैन कर दिया गया था।
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वहीँ पडोसी देश श्रीलंका में तीन तलाक को कई विद्वानों ने एक आदर्श कानून करार दिया है। यहां मैरिज एंड डिवोर्स (मुस्लिम) एक्ट 1951 के तहत पत्नी से तलाक चाहने वाले पति को एक मुस्लिम जज को नोटिस देना होगा। इसमें उसकी पत्नी के रिश्तेदार, उसके घर के बड़े लोग और इलाके के प्रभावशाली मुसलमान भी शामिल होंगे।
ये सभी लोग दोनों के बीच सुलह की कोशिश करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर 30 दिन बाद तलाक को मान्य करार दिया जाएगा। तलाक एक मुसलमान जज और दो गवाहों के सामने होता है।
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साल 1959 में इराक दुनिया का पहला अरब देश बना था, जिसने शरिया कोर्ट के कानूनों को सरकारी कोर्ट के कानूनों के साथ बदल दिया। इसके साथ ही यहां तीन तलाक खत्म कर दिया गया।
इराक के पर्सनल स्टेटस लॉ के मुताबिक ‘तीन बार तलाक बोलने को सिर्फ एक ही तलाक माना जाएगा।’ 1959 के इराक लॉ ऑफ पर्सनल स्टेटस के तहत पति और पत्नी दोनों को ही अलग-अलग रहने का अधिकार दिया गया है।
भारत के सहयोग से 1971 में पाकिस्तान से अलग हुए बांग्लादेश ने भी संविधान में संशोधन कर तीन तलाक को बैन कर दिया था। यहां तलाक से पहले यूनियन काउंसिल के चेयरमैन को शादी खत्म करने से जुड़ा एक नोटिस देना होता है।
सीरिया में जज के सामने ही वैध माना जाता तीन तलाक
लगभग 74 फीसदी वाले देश सीरिया में तीन तलाक के नियम को इस तरह से तैयार किया गया है कि कोई भी पुरुष आसानी से पत्नी से अलग नहीं हो सकता है। यहां 1953 में बने कानून के तहत तलाक जज के सामने ही वैध माना जाता है।
इन सबके अलावा साइप्रस, अल्जीरिया, इरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर,यूएई और जॉर्डन में भी तीन तलाक पर बैन है।