यह वास्तव में जवानी का बीज है। लंबे समय तक सोयाबीन खाने वाले लोग जल्द बूढ़े नहीं होते। यह एक बेस्ट एंटी एजिंग फूड है। सोयाबीन में प्रोटीन 43 पर्सेंट रहता है। सोया स्नायुओं को शांत रखता है। सोया दूध में लैक्टोज बिल्कुल नहीं होता, इस कारण से बच्चों और डायबिटीज के मरीजों के लिए सोया दूध को वरदान कहा जाता है।
सोयाबीन का इस्तेमाल प्रोटीन के रूप में कई बीमारियों में किया जा रहा है। इसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, बी, डी व ई जैसे तत्व होते हैं।
सोयाबीन के प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता जिससे हृदय स्वस्थ रहता है। सोयाबीन में 20 प्रतिशत वसा होती है, जिसमें ओमेगा-6 एवं ओमेगा-3 वसीय अम्ल अधिक मात्रा में पाए जाते हैं और ये अम्ल हृदय रोगी के लिए अच्छा होता है। खून की कमी होने पर सोयाबीन खाना फायदेमंद होता है।
दिमाग की कमजोरी, तनाव और चिड़चिड़ापन होने पर सोयाबीन लाभकारी होती है जो याददाश्त बढ़ाने का भी काम करती है। सोयाबीन में ब्लड साफ करने का गुण होता है जो त्वचा रोगों को दूर करती है। यह बढ़े हुए यूरिक एसिड को भी कम करने का काम करती है। सोयाबीन में कैल्शियम व लोहा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एनीमिया और ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए इसका उपयोग करें।
सोयाबीन में कार्बोहाइड्रेड की मात्रा लगभग 20-25 प्रतिशत होती है और स्टार्च की मात्रा नहीं के बराबर होती है। इसके रेशे भी सेहत के लिए अच्छे होते हैं। सोयाबीन अथवा सोयाबीन से बने खाद्य पदार्थों में आइसोफ्लेवोन नामक फाइटोरसायन उपस्थित होते हैं। इन रसायनों के विभिन्न महत्व पाए गए हैं। वे शरीर में कैंसर के प्रतिरोधक का कार्य भी करते हैं, खासतौर पर स्तन व प्रोस्टेट कैंसर में।