नई दिल्ली। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के बीच सीधी टक्कर हुई। डोनाल्ड ट्रंप ने जीत दर्ज की। वह 19वें रिपब्लिकन राष्ट्रपति बने। दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक मुल्क अमेरिका का 45वां राष्ट्रपति बनने वाले ट्रंप से जुड़ी अहम बातें जानिए नीचे।
अगर भारत के लिहाज से देखें तो अबतक के सभी अमरीकी राष्ट्रपति में से रिपब्लिकन पार्टी से ताल्लुक रखने वाले भारत के लिए ज्यादा फायदेमंद रहे हैं। लेकिन बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश और बराक आेबामा के बाद डेमोक्रटिक राष्ट्रपति रहते हुए भी भारत-अमेरिका के रिश्तों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं दिखा।
आइए जानते हैं कि रिपब्लिकन कैंडीडेट डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से भारत और अमेरिका के रिश्तों में क्या फर्क पड़ेगा –
भारत को होंगे ये नुकसान –
भारत समेत दुनियाभर के बाजार चाहते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप न जीतें।
ट्रंप के जीतने से भारतीय बाजार पर बुरे प्रभाव पड़ने की आशंका है।
ट्रंप की जल्दबाजी में बनाई जाने वाली व्यापार नीति और अमेरिका फर्स्ट की नीति सभी व्यापारिक देशों को नुकसान पहुंचा सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप ने H1B वीसा प्रोग्राम को गलत बताया और वह इसे खत्म करना चाहते हैं।
अगर वह जीते तो भारतीय आईटी स्टॉक और आईटी कंपनियों को इसका खामियाजा सबसे पहले भुगतना पड़ सकता है।
ट्रंप का भारत को लेकर दोहरा रवैया रहा है। एक तरफ तो वह कहते हैं कि भारत बहुत अच्छा कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कहते हैं कि वह अमेरिका में भारतीयों के बजाय अमेरिकी लोगों को जॉब देंगे।
ऐसे में अमेरिका में रहने वाले भारतीय पेशेवरों को दिक्कत हो सकती है।
ट्रंप ने अमेरिका में कॉर्पोरेट टैक्स को 35 से 15 पर्सेंट तक काटने की बाद कही।
ऐसे में फोर्ड, जीएम और माइक्रोसॉफ्ट सरीखी कंपनियां फिर से अमेरिका की तरफ भागने को मजबूर हो जाएंगे।
इससे मोदी के मेक इन इंडिया सपने को खतरा होगा।
भारत को होंगे ये फायदे –
हालांकि, ट्रंप ने यह भी कहा है कि कड़े नियमों के बावजूद उनकी इच्छा है कि भारतीय एंटरप्रेन्योर और स्टूडेंट अमेरिका को अपना योगदान दें।
डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को अपने पूरे कैंपेन के दौरान आलोचित किया। इस लिहाज से वह चीन को सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं। इसका फायदा भारत को मिल सकता है।
चीन पर ट्रेड एग्रीमेंट के नियमों को रिवाइज करते हुए भारी टैरिफ थोपा जाएगा।
पाकिस्तान और उसमें फैले आतंकवाद को जड़ से मिटाने पर जोर।
ट्रंप के आतंकवाद के खिलाफ कड़े रुख से भारत और अमेरिका की सेनाएं संंयुक्त रूप से प्लानिंग भी बना सकती हैं।
ऐसा होने से भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा व्यापार भी बढ़ सकता है।