कोलकाता- पश्चिम बंगाल के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए अब जल्द ही अलग शौचालय बनाए जाएंगे। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने तमाम कॉलेजों के प्रिंसिपलों और विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलरों को भेजे पत्र में यह निर्देश दिया है। वेस्ट बंगाल ट्रांसजेंडर डेवलपमेंट बोर्ड ने यह सिफ़ारिश की थी जिसे राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने मंजूर कर लिया है।
बोर्ड का कहना है कि यह कदम ट्रांसडजेंडरों की समस्याओं को दूर करने की दिशा में एक प्रयास है. इससे इस तबके के लोगों को समाज में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने में सहायता मिलेगी। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी कहते हैं, “बोर्ड की सिफ़ारिश पर गौर करने के बाद सरकार ने इसे लागू करने का फैसला किया। फिलहाल इसे सरकारी और सरकारी सहायता-प्राप्त कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लागू किया जाएगा। ”
उनका कहना है कि सरकार निजी कॉलेजों से भी इस सिफ़ारिश को लागू करने का अनुरोध करेगी। भारत में पहली ट्रांसजेंडर कॉलेज प्रिंसिपल मानवी बनर्जी कहती हैं कि आम लोगों को इस तबके के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाने की सीख दी जानी चाहिए।
लेकिन कुछ हलकों में इस सरकारी निर्देश का विरोध भी हो रहा है। ऑल बंगाल प्रिंसिपल्स काउंसिल के कोषाध्यक्ष श्यामलेंदु चटर्जी की दलील है कि ऐसे छात्रों के लिए अलग शौचालय बनाने पर उनकी पहचान सामने आ जाएगी और रैगिंग का ख़तरा बना रहेगा। चटर्जी कहते हैं, “कई कॉलेजों में अलग शौचालय बनाने की जगह नहीं है। ”
लेकिन इस तबके ने सरकार के फैसले पर प्रसन्नता जताई है। ट्रांसजेंडरों के हित में काम करने वाली संस्था ‘साथी’ के शुभदीप राय कहते हैं, “यह ट्रांसजेंटर तबके को समाज में उनका स्थान दिलाने की दिशा में एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण पहल है। ”
महानगर के एक कॉलेज में पढ़ने वाले सुंदर मुखर्जी (बदला हुआ नाम) कहते हैं, “अब अलग शौचालय बनने से हमें काफी आसानी होगी। अब तक हम प्रिंसिपल की अनुमति से छात्राओं के शौचालय का इस्तेमाल करते थे। “