बैतूल- चुनाव आयोग से उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन सुनश्चित करने और और निष्पक्ष चुनाव की मांग को लेकर आज आदिवासीयों ने श्रमिक आदिवासी संगठन और समाजवादी जन परिषद के बैनर तले बैतूल जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया – धरने में घोडाडोंगरी विधानसभा के लगभग 150 आदिवासी धरने पर है !
उनका कहना है कि अगर चुनाव आयोग उच्च न्यायालय के आदेशों का भी पालन नहीं करवा सकता, तो फिर वो हमारी सुरक्षा क्या करेगा और निष्पक्ष चुनाव कैसे सुनिश्चित करेगा| ऐसे में उनके पास चुनावों के बहिष्कार के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा !
सजप के राजेन्द्र गढ़वाल ने कहा कि जबतक जिला प्रशासन हाई कोर्ट के उन तीन आदशों के तहत कार्यवाही नहीं करती तबतक धरना जारी रहेगा – जिसके तहत 19 दिसम्बर को उमरडोह की घटना में दोषी आधिकारियों के खिलाफ एफ आई दर्ज नहीं करता, दान्वाखेडा के आदिवासीयों के नाम मतदाता सूची में नहीं जोड़ता, और उमरडोह में वनभूमि के दावे तय करना शामिल है ! इसके अलावा आदिवासी 3 मई को नर्सरी में आग लगाने वाले रेंजर पर एफ आई दर्ज करने की मांग कर रहे है !
श्रमिक आदिवासी संगठन के बबलू नलगे ने बताया कि बड़े दुख की बात है कि आचार सहिंता के नाम पर पुलिस शिकायत का बहाना लेकर आलोक सागर जैसे बुजुर्ग कार्यकर्त्ता को, जो पिछले 26 साल से अपनी सबकुछ छोड़ कोचामाऊ गाँव में रह रहा है; उन्हें जेल में डालने की धमका रही है ! वहीं और पार्टी के लोगों और गुंडातत्वों के खिलाफ अभीतक कोई कार्यवाही नहीं की गई है ! आलोक सागर के मामले में जिस पुलिस पर धमकाने का आरोप है वहीं पुलिस एकतरफा बयान दे यह कह रही है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है| इससे साफ़ है कि जिला प्रशासन राजनैतिक दबाव में काम कर रहा है|
ज्ञात हो कि घोडाडोंगरी विधानसभा -132 के अंतर्गत चिचोली ब्लाक की बोड और कामठा-माल पंचायत के अंतर्गत आनेवाली वनभूमी के मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने दो अलग याचिकाओं में दो अलग-अलग आदेश पारित किए: पहला, दिनांक 20/01/2016 को कुवंरसिंग विरुद्ध राज्य सरकार: इस आदेश में कोर्ट ने बैतूल कलेक्टर को बोड बीट में जंगल जमीन पर लोगों के अधिकार के हक़ को लेकर लोगों व्दारा दी गए आवेदनों को 3 माह में तय करने के लिए कहा दूसरा, 21/03/2016 को परसराम विरुद्ध राज्य सरकार: इसमें कोर्ट ने जिला पुलिस अधीक्षक को यह आदेश दिया कि अपराधिक मामले में अपराध दर्ज करने को लेकर जो शिकायत परसराम व्दारा दी गई है, उस पर दंड प्रक्रिया सहिंता और सुप्रीम कोर्ट व्दारा ललिता कुमारी विरुद्ध उ. प्र. सरकार के मामले में स्थापित नजीर के आलोक में कार्यवाही की जाए; यह मामला पहले मामले में जंगल जमीन पर लोगों के कब्जे हटाने के लिए 19 दिसम्बर 2015 को की गई अवैध कार्यवाही के संबंध में एफ. आई. आर. दर्ज करने को लेकर था!
इसके अलावा शेखलाल विरुद्ध बैतूल कलेक्टर के मामले में 15 दिसम्बर 2014 को आदेश पारित किया था की दानवाखेडा के आदिवासीयों के नाम मतदाता सूची में नाम जोड़ने हेतु उनके आवेदनों पर कार्यवाही करने का आदेश दिया था| लेकिन इस समबन्ध में जो आदेश 12 मार्च 2015 को जो आदेश बैतूल कलेक्टर ने पारित किया, उसमें समबन्धित आदिवासीयों को कहीं भी अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया| कानून में कहीं भी यह प्रावधान नहीं है कि वनभूमि पर अतिक्रमाकों के नाम मतदाता सूची में ना जोड़े जाए, वहीं बैतूल कलेक्टर ने इस आधार पर ही उनके दावे रद्द कर दिए !
उपरोक्त आदेशों पर कार्यवाही नहीं होने से राजनैतिक संरक्षण में संवालीगढ़ रेंज के रेंजर मुकेश अलावा ने 03/05/2016 ने उक्त वन भूमि पर आदिवासीयों व्दारा फलदार पोधों की नर्सरी में आग लगा दी; लोगों के टप्पर तोड़ दिए; महुआ फेंक दिया और घर के बर्तन आदि घर से बहार फेंक दिया| उक्त अपराधी रेंजर को पकड़कर लोगों ने उसी रात पुलिस को सौंप दिया था !
रिपोर्ट:- अनुराग मोदी