बैतूल : जिले के चिचोली ब्लॉक के आलमपुर गांव के दिव्यांग भीम पिता श्रीराम चंदेलकर (26) और गांव की ही दिव्यांग मीना पिता राजाराम यादव (22) ने डेढ़ साल पहले साथ जीने-मरने का फैसला ले लिया था और परिवार के विरोध के बाद भी शादी करने के लिए घर से निकल गए थे। एक साल पहले यानी 16 मार्च 2016 को दोनों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी करने बैतूल अपर कलेक्टर न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया।
दिव्यांग भीम ने आरोप लगाया कि अपर कलेक्टर कार्यालय में एक कर्मचारी ने 3 हजार रुपए मांगे। पैसे न देे पाने पर शादी का आवेदन ही निरस्त कर दिया गया। हालांकि अपर कलेक्टर न्यायालय ने आवेदन निरस्त करने का कारण बताया था कि वे गवाहों के बयान से संतुष्ट नहीं थे। दिव्यांग भीम बताते हैं कि अब तक हम दोनों लिव इन रिलेशन में रह रहे थे।
छह माह पहले हम लोग बिन ब्याह मां-बाप बन गए। बच्चे को नाम की जरूरत थी। जिला प्रशासन ने हमारी गुहार पर विशेष रूचि ली। रविवार को हुए दिव्यांग सामूहिक विवाह समारोह में शादी कराई। 6 माह के बेटे को गोद में लेकर माता-पिता ने सात फेरे लिए।इसी के साथ 115 दिव्यांग जोड़ों ने सात फेरे लिए और इतिहास बन गया। इससे पहले उज्जैन में 101 दिव्यांग जोड़ों का विवाह कराया गया था। यह रिकॉर्ड गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया।