![Beyond the Indian Act elusive network of on-line lottery](http://teznews.wpengine.com/wp-content/uploads/2014/09/Beyond-the-Indian-Act-elusive-network-of-on-line-lottery.jpg)
जहां तक भारत सरकार के गृह, सूचना एवं प्रसारण तथा संचार मंत्रालय का सवाल है, इन मंत्रालयों के पास ऑन लाइन लॉटरी से संबंधित किसी प्रकार का कोई डाटा ही उपलब्ध नहीं है कि कितने लोग इस तरह के हेराफेरी का शिकार प्रति वर्ष हो रहे हैं। इस मामले में 1998 में पारित लॉटरी रेगुलेशन एक्ट राज्य सरकारों को लॉटरी को प्रतिबंधित करने से लेकर प्रोन्नयन करने तक का सर्वाधिकार देती है।
1998 का यह लॉटरी रेगुलेशन एक्ट ऑन लाइन लॉटरी के बारे में कुछ कहता ही नहीं है फिर भी विधि व न्याय मंत्रालय का कहना है कि इस एक्ट में सभी तरह के अवैध लॉटरी के बारे में कानूनन उचित व्यवस्था है। भारत सरकार ने 2010 में एक अधिसूचना के तहत इस एक्ट में कुछ बदलाव किए है जिसमें नंबर वाली लॉटरी और ऑन लाइन लॉटरी के बारे में स्पष्टï व्याख्या प्रस्तुत की गई है। जहां तक सामान्य लॉटरी का सवाल है, विधि व न्याय एवं संचार मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया कि वे अपने राज्य में चाहे तो किसी प्रकार की लॉटरी को संचालित कर सकती हैं या फिर बंद करने का अधिकार रखती हैं। इस तरह का भारत सरकार ने 28 दिसंबर 2011 में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह अधिकार प्रदान किया जिसमें वह पूर्ण रूप से इस बिजनेस को प्रोन्नत कर सकती हैं या फिर बंद कर सकती हैं।
बावजूद इसके भारत सरकार की चिंता ऑन लाइन लॉटरी को लेकर बरकरार है जिसमें देशों की सीमाएं टूट जाती हैं। विदेशी मायावी ऑन लाइन लॉटरियों के चक्कर में पढ़े लिखे लोग बर्बाद हो रहे हैं जो सेकेंडों में मिलिनेयर और बिलिनेयर बनाने का सपना दिखाती हैं। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि निजी सतर्कता और बिना मेहनत मिनटों में अरबपति बननेे का ख्वाब, लॉटरी से पूरी करने की कतई कोशिश हमें नहीं करनी चाहिए।
भारत में समस्या यह है कि इस तरह के हेराफेरी के आरोपियों को दबोचने के लिए हमारे पास कोई वैधानिक आधार के साथ-साथ दोषी के दोष को साबित करने के लिए दंड प्रक्रिया की तो कमी है ही, भारतीय न्यायालयों की भी अपनी समस्याएं हंै, जिसे दूर कर दोषियों को आरोपित किया जा सके। समय आने पर संभव है ऐसा हो सके लेकिन फिलहाल तो सतर्कता ही ऑन लाइन लॉटरी से लूटने से बचने का एकमात्र रास्ता है।
एम. वाई. सिद्दीकी
(पूर्व प्रवक्ता विधि व न्याय और रेल मंत्रालय, भारत सरकार)