बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा सेना की तुलना स्यवंसेवकों से करने पर आपत्ति जाहिर की है। मंगलवार को एक बयान जारी कर उन्होंने कहा कि मोहन भागवत को अपने मिलिटेंट स्वयंसेवकों पर इतना ज्यादा भरोसा है तो उन्हें सुरक्षा के लिए सरकारी खर्चे पर विशेष कमांडो क्यों ले रखे हैं?
गौरतलब है कि आरएसएस प्रमुख ने मुजफ्फरनगर में स्वयंसेवकों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि हम सैन्य संगठन नहीं हैं, मगर सेना जैसा अनुशासन हमारे अंदर है। अगर देश को जरूरत पड़े और देश का संविधान, कानून कहे तो सेना तैयार करने में छह-सात महीने लग जाएंगे। संघ के स्वयंसेवकों को लेंगे तो तीन दिन में तैयार हो जाएंगे। ये हमारी क्षमता है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि ऐसे समय में जब सेना को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, मोहन भागवत का बयान सेना के मनोबल को गिराने वाला है। इसकी इजाजत उन्हें नहीं दी जा सकती। मायावती ने आरएसएस प्रमुख से अपने बयानबाजी के लिए देश से मांफी मांगने को कहा है।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि आरएसएस अब सामाजिक संगठन न रहकर राजनैतिक संगठन में तब्दील होता जा रहा है, जो बीजेपी की चुनावी राजनीति करने में व्यस्त नजर आता है।