भोपाल : स्वच्छ भारत अभियान के तहत खुले में शौच से मुक्ति के लिए चलाए गए कार्यक्रम को औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त बताने पर आईएएस अफसर दीपाली रस्तोगी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन पर शासन की नीति के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर आलेख लिखने को लेकर कार्रवाई हो सकती है। पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा ने तो रस्तोगी की टिप्पणी को सर्विस रूल्स का उल्लंघन करार दिया है।
उन्होंने कहा कि एक महिला अधिकारी से तो ये उम्मीद कतई नहीं की जा सकती है कि वो खुले में शौच व्यवस्था को समाप्त करने के कार्यक्रम की आलोचना करेंगी। मुख्य सचिव बीपी सिंह ने एक समाचार पत्र से बात करते हुए कहा कि ‘रस्तोगी ने क्या लिखा है, ये नहीं देखा है। देखने के बाद ही कुछ कहूंगा।’ इस मामले में रस्तोगी का पक्ष जानने की भी कोशिशें की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
सचिव स्तर की अधिकारी दीपाली रस्तोगी ने पिछले सप्ताह एक अंग्रेजी अखबार में खुले में शौच अभियान को लेकर आलेख लिखा था। इसमें अभियान को औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त बताया। उन्होंने कहा कि योजना उन गोरों के कहने पर लाई गई, जिनकी वॉशरूम हैबिट भारतीयों से अलग है। इसके पक्ष में दिए उनके तर्कों को लेकर विवाद शुरू हो गया है।
पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि हैरान करने वाली बात है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस तरह किसी सरकारी कार्यक्रम की आलोचना की है। आश्चर्य होता है कि पढ़े-लिखे लोग भी खुले में शौच का समर्थन कर सकते हैं। खुले में शौच के लिए जाना देश के लिए शर्मनाक है। इसे दूर करने की पहल सराहनीय है।
औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त कार्यक्रम भी इसे नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि हमारी संस्कृति में ही शुचिता को महत्व दिया गया है। आईएएस अधिकारी से ये अपेक्षा कतई नहीं की जाती है कि वो किसी सरकारी कार्यक्रम की सार्वजनिक आलोचना करेगा। सर्विस रूल्स-7 में भी यही प्रावधान है।
उधर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि खुले में शौच अभियान को जबरदस्त जनसमर्थन मिल रहा है। रस्तोगी ने क्या लिखा ये तो नहीं देखा है पर अभियान की आलोचना नहीं हो सकती है।
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय ने भी रस्तोगी के खुले में शौच अभियान को लेकर की टिप्पणी को अनुचित करार दिया है। साथ ही कहा कि लोकसेवक सर्विस रूल्स से बंधा होता है, वह किसी भी सरकारी नीति, योजना, कार्यक्रम की सार्वजनिक आलोचना नहीं कर सकता। उसे अपनी बात रखने के लिए मंच उपलब्ध हैं।
उधर, रस्तोगी पर सरकार के कार्यक्रम की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने को लेकर कार्रवाई की बात भी उठने लगी है। दरअसल, जब बड़वानी में कलेक्टर रहते अजय गंगवार ने फेसबुक पर किसी की पोस्ट को शेयर किया था तो उन्हें सिर्फ कलेक्टरी से हाथ धोना पड़ा था, बल्कि कारण बताओ नोटिस भी दिया गया था।
इसी तरह तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जयललिता की जीत पर नरसिंहपुर कलेक्टर सिबि चक्रवर्ती ने उन्हें सोशल मीडिया के जरिए बधाई दी थी। इसके बाद उनसे भी जवाब-तलब किया गया था और कुछ दिनों बाद उन्हें पद से हटा दिया था।