मध्य प्रदेश के हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। हनी ट्रैप गैंग ने कमलनाथ सरकार के 28 विधायकों को टारगेट किया था।
इन विधायकों में कई मंत्री भी शामिल थे। गैंग की महिला सदस्यों ने कई मंत्रियों और विधायकों से नजदीकियां भी बढ़ाई थी।
एक सीनियर IAS अधिकारी और मौजूदा सरकार के मंत्री की सीडी चर्चा में आने के बाद ATS को पुख्ता इनपुट मिले थे कि हनी ट्रैप गिरोह के सदस्य कमलनाथ सरकार के विधायकों को टारगेट कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक ATS ने राज्य सरकार के निर्देश पर मामले की जांच शुरू की, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
जांच में सामने आया कि हनी ट्रैप गैंग की 5 महिलाओं ने संगठित होकर कमलनाथ सरकार के 28 विधायकों को टारगेट किया था, जिनमें कई मंत्री भी शामिल थे।
बता दें कि पिछले दिनों इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर की शिकायत पर दर्ज एफआईआर के बाद पुलिस ने इंदौर से दो महिलाओं और राजधानी भोपाल से तीन महिलाओं के साथ एक पुरुष को गिरफ्तार किया था।
पुलिस के मुताबिक यह पूरा संगठित गिरोह था जो बड़े नेताओं और आईएएस-आईपीएस अफसरों को अपने जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करता था। इस गिरोह का पर्दाफाश करने में सबसे बड़ी भूमिका एटीएस की रही।
पुलिस मुख्यालय में बैठकर एटीएस के अधिकारियों की टीम बनाई गई और इसने चुन-चुनकर हनी ट्रैप गिरोह के शातिरों की पूरी जानकारी जुटाई।
इस मामले में कार्रवाई भले ही इंदौर पुलिस कर रही है, लेकिन हनी ट्रैप गैंग का पर्दाफाश करने के लिए कई महीनों से पुलिस मुख्यालय में प्लान बनाया जा रहा था।
इसी प्लान के तहत ऑपरेशन हनी ट्रैप चलाकर गैंग के सभी सदस्यों की डिटेल निकाली गई और समय आने पर गैंग के सदस्यों के ठिकानों पर दबिश देकर उन्हें पकड़ा गया।
ATS की काउंटर इन्वेस्टिगेशन की 15 सदस्यीय टीम ने ऑपरेशन ‘हनी ट्रैप’ का पूरा प्लान तैयार किया था। ATS हनीट्रैप गैंग की कुंडली तैयार कर आरोपियों की शिकायत मिलने का इंतजार कर रही थी।
इस बीच एक सीनियर IAS और मंत्री की सीडी की चर्चा होने से कई बड़े नेताओं और अफसरों को अपना राज़ खुलने का डर सताने लगा।
राजनेताओं और नौकरशाहों ने मिलकर इंदौर में नगर निगम के एक इंजीनियर से FIR दर्ज कराई गई। केस दर्ज होने के बाद गैंग की पांच महिला और एक पुरुष के ठिकानों पर नजर रख रही ATS ने ऑपरेशन ‘हनी ट्रैप’ का पर्दाफाश किया।
ATS ने अपने स्तर पर कार्रवाई करने के बाद पूरे मामले को इंदौर पुलिस को सौंप दिया। जांच एजेंसी के पास तमाम राजनेताओं और नौकरशाहों के वीडियो मौजूद हैं जिनकी वजह से उन्हें गैंग के सदस्य ब्लैकमेल कर रहे थे।
बता दें कि मध्य प्रदेश के राजगढ़, छतरपुर और भोपाल की पांच महिलाओं ने मिलकर हनी ट्रैप का संगठित रैकेट तैयार किया था।
इस रैकेट के जरिए वो राजनेताओं और सीनियर अफसरों को हनी ट्रैप में फंसाने का काम करती थीं। आरोपियों ने कई राजनेताओं और अफसरों की सीडी बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया और करोड़ों रुपए के व्यारे-न्यारे किए। जब प्रदेश में इसका दखल बढ़ने लगा तो नेताओं और अफसरों के बीच खलबली मच गई, लेकिन बदनामी के डर की वजह से कोई भी राजनेता या अफसर सामने नहीं आया।
हालांकि वो सब किसी तरह से इस रैकेट के मकड़जाल से निकलना चाहते थे। इसलिए राजनेताओं और अफसरों के इस गठबंधन ने मौके को तलाशना शुरू किया और इंदौर के एक सरकारी इंजीनियर के जरिए उन्हें बड़ा मौका मिल गया।
फिलहाल, उन राजनेताओं और अफसरों के दिल की धड़कनें तेज हैं जिनके वीडियो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में कैद हैं। अब जांच एजेंसियों को तय करना है कि उन वीडियो में छुपे नामों को वो किस तरीके से सामने लाएगी या फिर शिकायतकर्ताओं के अभाव में जांच बस एक इंदौर के सरकारी अधिकारी तक ही सिमट कर रह जाएगी।