कोलकाता : कोलकाता नगर निगम (KMC) चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) को बड़ी जीत मिली है। 144 वार्ड में से 132 पर TMC या तो जीत चुकी है या आगे चल रही है। वहीं, विधानसभा चुनाव में प्रमुख विपक्षी पार्टी बनकर उभरी भाजपा तीसरे नंबर पर खिसकती दिख रही है। अब तक रुझानों में उसे केवल तीन वार्ड में बढ़त मिली है। चार सीटों पर बढ़त के साथ लेफ्ट दूसरे नंबर पर चल रहा है।
19 दिसंबर को हुए KMC चुनाव में लगभग 64 फीसदी मतदान हुआ था। चुनाव नतीजे के बाद 23 दिसंबर को कोलकाता का नया मेयर चुना जाएगा। गुरुवार को कोलकाता के महाराष्ट्र निवास में TMC के नवनिर्वाचित सदस्य नए मेयर का चुनाव करेंगे। इस जीत के बाद ममता के भतीजे और पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया कि कोलकाता के लोगों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बंगाल में नफरत और हिंसा की राजनीति का कोई स्थान नहीं है! इतना बड़ा जनादेश हमें आशीर्वाद देने के लिए मैं सभी का धन्यवाद करता हूं।
ममता बनर्जी के भाई कार्तिक बनर्जी की पत्नी काजरी बनर्जी 73 नंबर वार्ड से जीत गई हैं। काजरी ने लगभग 6500 वोटों से जीत दर्ज की। ममता और अभिषेक के बाद राजनीति में आने वाली काजरी परिवार की तीसरी सदस्य हैं।
वरिष्ठ पत्रकार शिखा मुखर्जी बताती हैं कि भाजपा कोलकाता को अपना शहर मानती थी। उसे उम्मीद थी कि यहां का वोटर भाजपा का समर्थन करेगा, लेकिन इन चुनावों में ऐसा नहीं हुआ। भाजपा का ये प्रदर्शन उसकी उम्मीद से भी कम है। विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी भाजपा हारी ही नहीं, बल्कि अधिकतर वार्ड में तीसरे नंबर या उससे भी नीचे खिसक गई।
शिखा कहती हैं कि वार्ड 23 से जीते भाजपा के विजय ओझा ने वोटिंग के दिन भी इस तरह की बातें कहीं थीं। नतीजा आने बाद भी उन्होंने ये बातें दोहराईं। उनके वार्ड में वोटिंग से पहले भाजपा और TMC के कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष भी हुए थे। वहां मुकाबला कांटे का था, लेकिन कोलकाता के सभी 144 वार्ड के बारे ऐसा नहीं कहा जा सकता है। अगर भाजपा मुकाबले में होती तो उसके ज्यादातर उम्मीदवार तीसरे नंबर या उससे भी नीचे नहीं होते।
हिंसा के मामलों पर शिखा कहती हैं कि बंगाल की राजनीति में संघर्ष, हिंसा, मारपीट आम है, लेकिन जो हिंसा का माहौल बताया जाता है, वैसा नहीं है। कुछ इलाके हैं जहां हिंसा होती है। हर जगह ऐसा नहीं होता। ये कहना कि बंगाल में सिर्फ डर का फैक्टर ही चुनाव नतीजे तय करता है। ये गलत होगा।
People of Kolkata have once again proven that politics of HATE & VIOLENCE have NO PLACE in BENGAL!
I thank everyone for blessing us with such a huge mandate. We are truly humbled and shall always remain committed in our goals towards YOUR BETTERMENT!
Thank you Kolkata 🙏
— Abhishek Banerjee (@abhishekaitc) December 21, 2021
शिखा मुखर्जी कहती हैं कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा ने बंगाल से एक तरह से मुंह फेर लिया है। भाजपा के बारे में कहा जाता है कि वो हर चुनाव को बहुत अहम मानती है। यही वजह है कि नगर निकाय चुनाव में भी उसके बड़े-बड़े नेता प्रचार करने पहुंचते हैं। जैसे- हैदराबाद के नगर निगम चुनाव में अमित शाह से लेकर योगी आदित्यनाथ तक प्रचार करने पहुंचे थे, लेकिन कोलकाता नगर निगम चुनाव में कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं पहुंचा। सिर्फ एक बार जेपी नड्डा यहां आए थे। इन चुनावों में भाजपा शुरू से ही बहुत कमजोर लग रही थी। नतीजे भी उसी तरह के आए हैं।
शिखा कहती हैं कि हमारे देश की राजनीति में जो जीतता है वही सिकंदर होता है। ममता जीत रही हैं तो उनका कद भी लगातार बढ़ रहा है। ममता खुद को विपक्ष के चेहरे के तौर पर स्थापित करना चाह रही हैं। इस जीत के साथ ही ममता ने एक बार फिर साबित किया है कि अभी बंगाल की राजनीति में उनका कोई विकल्प नहीं है।
लेफ्ट खासतौर पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के लिए ये नतीजे काफी उम्मीद जगाते हैं। CPM को भले ही ज्यादा सीटें नहीं मिलीं हैं, लेकिन अधिकतर जगहों पर वो दूसरे नंबर पर रही है। शिखा कहती हैं कि भले जीत-हार का अंतर बहुत ज्यादा है, पर CPM ने जो जमीन खो दी थी उसे वो फिर से हासिल होती हुई दिख रही है।