नई दिल्ली : भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता था, जिन्होंने अपने पिता की खुशी के लिए राजकाज त्याग कर 14 वर्ष जंगल में वनवास के तौर पर बिताएं। लेकिन भगवान राम के नाम पर अब शरारती तत्व लोगों में तनाव, मतभेद, नफरत फैला रहे हैं। रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल, बिहार में कई जगहों पर हिंसा सामने आई जिसमे कई लोगों की जान चली गई, जबकि सैकड़ों लोग बेघर हो गए। बिहार के औरंगाबाद में भी भगवान राम के नाम पर हिंसा हुई थी।
औरंगाबाद बिहार की राजधानी पटना से 150 किलोमीटर दूर है, जहां पिछले कुछ सालों से हिंदी संगठन, बजरंग दल, वीएचपी, आरएसएस सहित कई संगठनों की सक्रियता बढ़ी है। 25 मार्च को यहां तकरीबन 100 युवाओं ने एक मोटरसाइकिल रैली निकाली थी। हालांकि यह रैली 26 मार्च को राम नवमी के मौके पर निकाली जाने वाली थी, लिहाजा शनिवार को इस रैली का ट्रायल निकाला गया था। इस रैली के दौरान युवाओं ने नारा लगाया एक ही नारा एक ही नाम, जय श्री राम जय श्री राम, भारत मां में तीन ही नाम, मोदी योगी जय श्री राम, हिन्दुस्तान में रहना है, तो वंदे मातरम कहना है।
आपको बता दें कि औरंगाबाद शहर की कुल आबादी लगभग 1.25 लाख है, जिसमें तकरीबन 30 लाख यानि 25 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। जहां रविवार को युवाओं की बाईक ड्रिल जब सोमवार को रामनवमी के मौके पर हुई तो इस दौरान यहां हिंसा भड़क गई। इस दौरान हुई हिंसा में 15 दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। चश्मदीदों ने बताया कि बहुत ही बड़ी संख्या में रैली सड़क पर उतरी, जिसका खुद पुलिस को भी अंदाजा नहीं था।
दरअसल आम तौर पर 2-3 हजार लोग ही इस तरह की रैली में पूर्व में शिरकत करते आए हैं, लेकिन 26 मार्च को यहां 10 हजार से अधिक लोग रैली में सड़क पर उतरे। यह भीड़ पहले से ही गांधी मैदान और सतेंद्र नगर में इकट्ठा थी। इससे पहले 2016 में भी रामनवमी के मौके पर दंगे हुए थे। जेडीयू के पूर्व जिला अध्यक्ष तेजेन्द्र सिंह ने बताया कि रामनवमी पूजा आयोजित कराने वालों में कई राजनीतिक दलों के भी प्रतिनिधि हैं। जिसमे भाजपा, एबीवीपी, जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी के नेता भी शामिल हैं। रैली के दौरान कोई बड़ा नेता नहीं था लेकिन इस दौरान भाजपा और एबीवीपी के सदस्यों ने जमकर नारेबाजी की।
यह बाइक रैली जब कर्बला पहुंची तो यहां जुगनू नाम के एक बुजुर्ग पर आरोप है कि उन्होंने दो लड़कों पर पत्थर फेंकने के लिए कहा था। हालांकि पुलिस अभी भी इस वीडियो की जांच कर रही है। यहां रहने वाले रवींद्र कुमार रवि ने बताया कि जब मोटरसाइकिल पर पत्थर फेंका गया तो कुछ बाइकसवार वहां से भाग गए लेकिन कुछ वहीं रुक गए और उन लोगों ने मुसलमानों के घरों में पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। हालांकि पुलिस ने इन लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
रवि ने बताया कि रमेश चौक के पास कुछ युवक मोहम्मद आलम नाम के व्यक्ति को पीट रहे थे, जब मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की और कॉस्टेबल की मदद ली। लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि पुलिस इसे रोकने में विफल रही। शाम होने तक पुलिस ने दर्जनों हिंदू और मुसलमान युवकों को गिरफ्तार कर लिया था। रवि ने बताया कि बड़ी संख्या में कुछ युवक इमाम टोली में घुस गए और इन लोगों ने काफी तोड़फोड़ की। जिसके बाद पुलिस ने पूरे इलाके में कर्फ्यू लगा दिया। हिंसा में 46 दुकानों जला दी गई, तकरीबन 150 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। दर्जनों घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।