ऐसे चिकित्सकों के विरुद्ध सरकार ने कठोर कदम उठाना शुरू कर दिया। मुख्य सचिव का कहना है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए बिहार में स्वास्थ्य महकमा हाई अलर्ट पर है। सरकार ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां भी रद कर दी है। इसके बावजूद कई डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। ऐसे डॉक्टरों पर सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
पटना: कोरोना के बढ़ते असर के दौरान सरकार ने ड्यूटी से नदारद रहने वाले 122 चिकित्सा पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा अन्य 76 डॉक्टरों से भी शोकॉज किया है, जो इस वैश्विक महामारी के बीच भी अनुपस्थित थे। इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए जहां डॉक्टरों और स्वास्थ्यर्मियों की छुट्टिया रद कर दी गई हैं तो वहीं कई डॉक्टर अब भी अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित हैं।
ऐसे चिकित्सकों के विरुद्ध सरकार ने कठोर कदम उठाना शुरू कर दिया। मुख्य सचिव का कहना है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए बिहार में स्वास्थ्य महकमा हाई अलर्ट पर है। सरकार ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां भी रद कर दी है। इसके बावजूद कई डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। ऐसे डॉक्टरों पर सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
एक तरफ सरकार ने 122 चिकित्सा पदाधिकारियों पर कार्रवाई का निर्णय लिया है तो वहीं दूसरी तरफ 76 डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों से स्पष्टीकरण भी मांगा है कि क्यों ना लापरवाही और कर्तव्यहीनता के आरोप में आपपर कार्रवाई की जाए। स्पष्टीकरण का संतोषप्रद जवाब ना देने पर इन 76 डॉक्टरों पर भी कार्रवाई तय माना जा रहा है।
बताया जा रहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना के बीच जब स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने फील्ड वेरीफिकेशन कराया तो लगातार ये सभी डॉक्टर अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित पाए गए। विभाग की जांच में 31 मार्च तक 76 चिकित्सा पदाधिकारी अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित मिले थे। इसी तरह एक अप्रैल को 60 चिकित्सा पदाधिकारी ड्यूटी से नदारद पाए गए थे और बीते दो अप्रैल को भी 62 चिकित्सा पदाधिकारी ड्यूटी से गैरहाजिर मिले थे। फिल्ड वेरीफिकेशन के बाद जब स्वास्थ्य सचिव के पास रिपोर्ट आई तो इन लोगों पर कार्रवाई का निर्देश दिया गया।