नई दिल्ली- एक ऐतिहासिक कदम के तहत केंद्र सरकार ने लोकसभा में किन्नर (ट्रांसजेंडर) समुदाय के लिए अलग पहचान और इस समुदाय के साथ लगे सभी धब्बों को दूर करने के लिए एक विधेयक पेश किया। केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने यह विधेयक पेश किया।
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी(आरएसपी) के सदस्य एन. के. प्रेमचंद्रन के इस विधेयक को पेश करने के विरोध को खारिज कर दिया।
ट्रांसजेंडर र्पसस (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल, 2016 किन्नरों को शोषण से रक्षा करने के लिए तंत्र स्थापित करने और इस समुदाय के साथ भेदभाव दूर करने और इन्हें खुद अपनी लैंगिक पहचान का अधिकार देने की कोशिश है।
पिछले वर्ष अप्रैल में इस बारे में राज्यसभा ने ट्रांसजेंडर र्पसस (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल को पारित किया था जिसे आकस्मात द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के सदस्य तिरुचि शिवा ने एक निजी सदस्य विधेयक के रूप में उच्च सदन में पेश किया था।
इस विधेयक को अब सरकार ने लोकसभा में पेश किया है। इस विधेयक का मकसद किन्नर समुदाय को सशक्त बनाना और भारत में किन्नर के खिलाफ अपराध करने वाले को कड़ी सजा देने का प्रावधान है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में छह लाख किन्नर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक को 20 जुलाई को ही स्वीकृति दी जा चुकी है।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि नए कानून से इस समुदाय को समाज की मुख्य धारा में लाने में मदद मिलेगी।