कोलकाता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब डिमोनेटाइजेशन की घोषणा की, उससे आठ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल भाजपा ने एक सरकारी बैंक में 500-1000 के नोटों में 3 करोड़ रुपए जमा किए।
इस मुद्दे पर अब राज्य में विवाद खड़ा हो गया है। इन पैसों में से 40 लाख रुपए का लेन-देन प्रधानमंत्री के एनाउंसमेंट से कुछ मिनट पहले ही हुआ।
मामले के खुलासे के बाद सियासी घमासान मच गया है। पश्चिम बंगाल में 19 नवंबर को एक विधानसभा सीट और दो लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं, उसे देखते हुए विपक्षी पार्टियां बैंक में 3 करोड़ रुपए जमा करने के मामले को मुद्दा बनाकर भाजपा पर हल्ला बोल रही है। सूत्रों के अनुसार, सेंट्रल एवेन्यू बैंक की शाखा ने बैंक में 3 करोड़ रुपए जमा होने की सूचना की पुष्टि की है।
मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी की माउथपीस गणशक्ति में छपी रिपोर्ट के अनुसार, 8 नवंबर को भाजपा ने अपने सेविंग अकाउंट में 500 और 1000 के नोटों में 1 करोड़ रुपए जमा किए। इसी रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने अपने करेंट अकाउंट में 1 नवंबर को 75 लाख रुपए और 5 नवंबर को 1.25 करोड़ रुपए जमा किए।
पश्चिम बंगाल में सीपीएम के स्टेट सेक्रेटरी सूर्य कांत मिश्रा ने आरोप लगाया है कि भाजपा के लोगों को इस बैन के बारे में संभवत: पहले से मालूम था इसलिए उन्होंने काले धन को सफेद करने के लिए बड़ी रकम देशभर के बैंकों में जमा करवाई है।
भाजपा ने कहा है कि पीएम की घोषणा और पैसा जमा करने को साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए। बैंक में पैसा जमा करना ही यह साबित करता है कि नियमों का पालन किया गया है।
सीपीएम के आरोपों पर जवाब देते हुए राज्य भाजपा के प्रेसिडेंट दिलीप घोष ने कहा, ‘पार्टी फंड में जो डोनेशन आते हैं, उनमें कैश भी होते हैं। हम उस कैश के बदले रसीद देते हैं। पार्टी के पास उन रसीदों की कॉपी है जिसे वेरीफाई किया जा सकता है।’
कांग्रेस ने भी हमला बोलते हुए कहा है कि मोदी सरकार ने नोट बैन की सूचना को खास लोगों के लिए लीक किया है और उन लोगों के नाम बताने को कहा है जिनको इससे फायदा हुआ है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने अपने दोस्तों को 500 और 1000 के नोट पर बैन के बारे में चेता दिया था।
केजरीवाल ने कहा, ‘जब पीएम ने ऐलान किया, उसके पहले अपने सारे दोस्तों को सतर्क कर दिया जिनके पास काला धन है, उन्होंने अपना माल ठिकाने लगा दिया।’