पणजी – पिछले कुछ महीनों से बीफ की कमी और एक हफ्ते से बिल्कुल खत्म होने के बाद अब गोवा के लोगों की थाली में फ्रेश बीफ 14 मार्च शनिवार से मिलने लगा। इसके लिए राज्य के लोग गोवा की भारतीय जनता पार्टी सरकार को शुक्रिया कह रहे हैं। हालांकि इस भगवा पार्टी के कार्यकर्ता देश में पशुओं की हत्या के खिलाफ हैं। गो-हत्या के खिलाफ महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार कानून बना चुकी है और अब हरियाणा सरकार बनाने जा रही है।
राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पशुपालन मंत्रालय पर भारी दबाव था कि वह प्रदेश की प्रभावी ईसाई आबादी को बीफ की कमी से तत्काल राहत दे। अब बीजेपी सरकार गोवा में बीफ की कमी पड़ोसी राज्य कर्नाटक और महाराष्ट्र के जरिए पूरी कर रही है। इसके लिए बीजेपी सरकार प्राइवेट सेक्टर के कोल्ड स्टोरेज से भी मदद ले रही है।
गोवा में हर दिन बीफ की खपत 30 से 50 टन तक है। गोवा मीट कॉम्प्लेक्स (जीएमसी) दूसरे राज्यों से बिना हड्डी वाला बीफ लाकर कोल्ड स्टोरेज के जरिए बेच रहा है। ये स्टोरेज ऑल गोवा कोल्ड स्टोरेज ऑनर्स असोसिएशन के सदस्य चलाते हैं। जीएमसी और राज्य के द्वारा प्रदेश में बूचड़खाने चलाए जा रहे हैं। ये पशुपालन मंत्रालय के संरक्षण में काम करते हैं। गोमांस की कमी के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से लोग गुस्से में थे। हालांकि सरकार इसके लिए अंतर्राज्यीय बीफ माफियाओं और लोकल बीफ ट्रेडर्स को जिम्मेदार ठहराती रही। 200 से ज्यादा बीफ ट्रेडर्स गोवा में हैं। इनका कहना है कि पशु अधिकार से जुड़े एनजीओ उन्हें लगातार टारगेट कर रहे हैं। प्रदेश में बीफ की कमी के लिए इन व्यापारियों ने ऐसे एनजीओ को जिम्मेदार ठहराया।
जीएमसी के चेयरमैन लिंदोन मोंटेरिओ ने कहा, ‘हमने प्रदेश में बीफ ट्रेडर्स से दो टूक कहा कि वे अपने स्टोर को खोलें नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। हमने इन्हें एक हफ्ते का वक्त दिया था लेकिन ये हरकत में नहीं आए। इसके बाद हमने पड़ोसी राज्यों से बीफ खरीद राज्य में अपने स्टोरेज के जरिए बेचना शुरू किया। इस वक्त गोवा सरकार अपने खुद के चेन के जरिए राज्य में बीफ बेच रही है। गोवा की कुल आबादी में ईसाई 26 पर्सेंट हैं। इनके किचन के लिए बीफ अहम है।
अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र द्वारा राज्य में बीफ को बैन करने की मांग के बाद से यहां सप्लाई प्रभावित है। इसने 2013 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पिटिशन दाखिल कर बीफ बैन करने की मांग की थी। संयोग से तब के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर इस केंद्र के सलाहकार थे। जब बीफ बैन के लिए कोर्ट में पिटिशन दाखिल की गई तब पर्रिकर ने इस संगठन से खुद को अलग कर लिया था।