भाजपा के प्रखर सांसद कीर्ति आजाद को यदि मुअत्तिल नहीं किया जाता तो मुझे बहुत आश्चर्य होता। यह कैसे मालूम पड़ता कि भाजपा अनुशासन-प्रिय पार्टी है? इसे अंग्रेजी में ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ भी कहा जाता था। याने यह अन्य पार्टियों से भिन्न पार्टी है।
अब कीर्ति की मुअत्तिली से यह सिद्ध हो गया है कि यह पार्टी भिन्न-भिन्न मतोंवाली पार्टी है। इस पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ता भ्रष्टाचार के मामले में एक मत हैं। वे सब भ्रष्टाचार-विरोधी हैं, जैसे कि कीर्ति आजाद हैं। लेकिन अब यह भिन्न-भिन्न मतोंवाली पार्टी बन गई है। इसके नेताओं का मत इसके कार्यकर्ताओं से भिन्न हो गया है।
वे भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अपने एक मंत्री को बचाने और संयमित करने की बजाय भ्रष्टाचार के विरुद्ध शंखनाद करनेवाले अपने एक सांसद को निलंबित कर रहे हैं। ज़रा वे सोचें कि अब देश में भाजपा की कैसी छवि बन रही है। पहले जेटली ने केजरीवाल को मोदी से भी बड़ा प्रतीक बना दिया, भ्रष्टाचार-विरोध का! फिर केजरीवाल ने अपने प्रधान सचिव के भ्रष्टाचार का टोकरा जेटली के सिर पर रख दिया और अब अमित शाह ने कीर्ति बढ़ाने के लिए अपने एक सांसद को आजाद कर दिया।
कीर्ति आजाद ने अरुण जेटली का एक बार भी कहीं नाम नहीं लिया। न ही उन्होंने भाजपा पर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कटाक्ष किया। वे क्रिकेट के नाम-गिरामी खिलाड़ी रहे हैं। दिल्ली जिला क्रिकेट संघ के भ्रष्टाचार पर वे पिछले 10-12 साल से सवाल उठा रहे हैं।
यदि उसमें भ्रष्टाचार की शंका नहीं होती तो कांग्रेस सरकार उसकी जांच क्यों करवाती? अब भाजपा को उन आरोपों की दुबारा जांच करवाकर यह सिद्ध करना चाहिए था कि वह एक भिन्न प्रकार की पार्टी है। अरुण जेटली बिलकुल पाक-साफ हैं। यह असंभव नहीं कि कांग्रेस ने अपने घनघोर भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए क्रिकेट-संघ के भ्रष्टाचार को रसगुल्ला बनाकर विरोधी नेताओं का मुंह बंद कर दिया हो।
अब भाजपा अपने ही एक सांसद के मुंह पर ताला जड़ रही है। उसने एक मुंह बंद करके अपने विरुद्ध करोड़ों मुखों को खोल दिया है। कीर्ति आजाद को सचमुच हीरो बना दिया है। उन्हें क्रिकेट और संसद ने इतनी प्रसिद्धि नहीं दिलाई है जितनी भाजपा के अल्पमति नेताओं ने दिलाई है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से ज्यादा अकल का परिचय तो अरुण जेटली ने दिया है। उन्होंने केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा चलाया है, कीर्ति पर नहीं। मुकदमा चलाकर जेटली ने अपनी गर्दन केजरीवाल के हाथ में दे दी है। प्रसिद्ध पुलिस अफसर के पी एस गिल ने जेटली पर नया आरोप गढ़ दिया है।
उन्होंने कहा है कि जेटली ने अपनी बेटी को ‘हाकी इंडिया लीग’ के कानूनी पेनल पर नियुक्त करवाने में अपने प्रभाव का दुरुपयोग किया है। उसे जमकर पैसे दिलवाए हैं। ये सब आरोप निराधार हो सकते हैं। इनके पीछे दुराशय और व्यक्गित खुन्नस भी हो सकती है लेकिन भाजपा का नेतृत्व नौसिखिए खिलाडि़यों की तरह अपने बेट से अपने ही स्टम्पों को गिरा रहा है।
लेखक:- डॉ. वेदप्रताप वैदिक