नई दिल्ली – याकूब मेमन की फांसी के बाद एक बार फिर शुरू हुई कैपिटल पनिशमेंट की बहस में बीजेपी नेता वरुण गांधी कूद गए हैं। सुल्तानपुर से बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बेटे वरुण ने पार्टी लाइन से इतर जाते हुए एक अंग्रेजी पत्रिका में ‘The Noose Casts A Shameful Shadow’ शीर्षक से मृत्युदंड खत्म करने की पुरजोर वकालत की है।
उन्होंने बेबीलोन सभ्यता और ईसा मसीह से लेकर तमाम सभ्यताओं में मृत्युदंड की प्रथाओं और नियमों का हवाला देते हुए बताया है कि यह बेहद क्रूर और निरंकुशतावादी प्रचलन था।
उन्होंने भारत के भी कई ऐसे मामलों का हवाला दिया है, जो न्याय के लिहाज से इतिहास के पन्नों में दर्ज हुए। भगत सिंह, राजगुरु से लेकर शहनवाज खान, गुरबख्श सिंह ढिल्लन और प्रेम सहगल को लाल किले पर दी गई फांसी का जिक्र करते हुए वरुण ने कहा है कि हर दौर में तानाशाह और कातिल रहे हैं।
वरुण ने लिखा है, ‘2014 में भारतीय अदालतों ने 64 लोगों को फांसी की सजा सुनाई, जिसकी वजह से भारत फांसी की सजा सुनाने वाले 55 देशों की लिस्ट में टॉप 10 देशों में है।’ वरुण ने 1983 में आए ‘रेयरस्ट ऑफ द रेयर’ मामलों में फांसी देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी विश्लेषण किया है।
इतना ही नहीं, वरुण ने अदालतों के फैसलों पर एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि फैसलों के सही होने की गारंटी नहीं दी सकती। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक स्टडी को कोट करते हुए बताया कि 1973-1995 के बीच मृत्युदंड के 5,760 केसों में से 70 फीसदी में कहीं न कहीं गलती हुई। वरुण ने भारत के मामले में भी ‘बचन सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब’ और ‘राम चंद्र बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान’ का हवाला देते हुए कुछ सवाल उठाए।
दिलचस्प बात यह है कि वरुण ने जाति और वर्ग के नजरिए से भी मृत्युदंड का विश्लेषण किया। उन्होंने नैशनल रिसर्च काउंसिल की एक रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि मृत्युदंड पाए 75 फीसदी दोषी समाज के कमजोर तबके से ताल्लुक रखते हैं, 94 फीसदी दोषी दलित हैं या अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उन्होंने इसके पीछे की वजहों को भी पोस्टमॉर्टम किया है।
अपनी बात का वजन बढ़ाने और तार्किक आकार देने के लिए वरुण ने बुद्ध के धम्म से लेकर जॉर्ज बर्नाड शॉ और यूएन तक कई उदाहरणों का सहारा लिया है। उन्होंने लिखा है, दुनियाभर में 140 देशों ने मृत्युदंड खत्म कर दिया है। भारत में भी इसका विकल्प तलाशा जाना चाहिए और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए।