नई दिल्ली – केंद्र सरकार ने सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना-2011 की रिपोर्ट आज जारी कर दी है। पर उसमें जातिगत आंकड़े सार्वजनिक न करने पर सरकार की यह रिपोर्ट और उसकी नीयत पर सवाल उठने लगे हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली, केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह ने यह आंकड़े जारी किए हैं। सरकार की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट का नाम ‘प्रोविजनल डाटा ऑफ इकॉनामिक एंड कास्ट सेंशस 2011 फॉर रूरल इंडिया’ है।
इस रिपोर्ट में देश भर में काम करने वाले लोग, उनकी आय और उनके घर के बारे में जानकारी दी गई है। पर सरकार ने यह नहीं बताया कि किस जाति और समुदाय से जुड़े लोगों की आय क्या है?
साथ ही सरकारी नौकरी में किस वर्ग के लोगों का कितना प्रतिनिधित्व है यह बात भी रिपोर्ट में नहीं बताई गई है। रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश भर में कुल 24.39 करोड़ परिवार है। इनमें से 17.91 करोड़ परिवार अभी भी गांवों में रहते हैं।
देश भर में 2.37 करोड़ परिवारों के पास एक कमरे का घर है जिसमें कच्ची दीवार और कच्ची छत है। रिपोर्ट के मुताबिक 17.91 करोड़ परिवारों की आय का स्रोत बताया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में 5.39 करोड़ परिवार खेती, 9.16 करोड़ परिवार कैजुअल श्रमिक, 44.84 लाख परिवार घरेलू काम, 4.08 लाख परिवार कूड़ा बटोर कर, वहीं देश में 2.50 करोड़ परिवार की आय का स्रोत सरकारी नौकरी, निजी नौकरी और पीएसयू सेक्टर में नौकरी करते हैं।
सरकार की इस रिपोर्ट में इस बात पर उंगली उठी है कि उसने जातिगत आंकड़े क्यों नहीं जारी किए हैं? सरकार ने रिपोर्ट में नहीं बताया है कि सरकारी नौकरी में किस जाति के कितने लोग काम कर रहे हैं? राजनीतिक दलों ने भी सरकार की इस रिपोर्ट पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। वहीं सरकार का कहना है कि इस रिपोर्ट ने ग्रामीण विकास का असल खाका खींचने में मदद मिलेगी।
अरुण जेटली ने कहा कि यह डाटा बहुत महत्वपूर्ण हैं और इनकी मदद से योजनाओं को लागू करने में मदद मिलेगी। ऐसे डाटा से सभी विभाग मिलकर काम कर सकते हैं।