नई दिल्ली- भाजपा अध्यक्ष पद पर अमित शाह के वर्तमान कार्यकाल की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए शाह को चुनावी प्रक्रिया का सामना करना पडे़गा। हालांकि उनकी राह में मुश्किलें भी कम नहीं हैं। अपनी कार्यशैली की वजह से शाह, संघ और भाजपा में एक खास वर्ग के निशाने पर हैं।
बताया जा रहा है कि अध्यक्ष पद पर फिर से उनकी ताजपोशी में बिहार के चुनावी परिणाम की भूमिका अहम रहेगी। हालांकि सियासी गलियारे में गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल के उत्तराधिकारी के रूप में भी शाह के नाम की चर्चा जोरों पर है। शाह की दूसरी पारी पर अटकलों का बाजार बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न होने से पहले गर्म न हो इस प्रयास में संगठन चुनाव की प्रक्रिया दबे पैर शुरू की गई है।
यही वजह है कि चुनाव अधिकारियों की घोषणा राष्ट्रीय स्तर से करने के बजाय प्रदेश स्तर पर की जा रही है। पार्टी ने संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान में चुनाव अधिकारियों की घोषणा कर दी है। पार्टी के हरियाणा प्रभारी अनिल जैन के अनुसार, ऋषि प्रकाश को सूबे का चुनाव अधिकारी बनाया गया है।
उत्तराखंड के चुनाव अधिकारी के रूप में प्रदेश उपाध्यक्ष केदार जोशी नियुक्त हुए हैं। वहीं राजस्थान में पार्टी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने-जाने वाले श्याम शर्मा को चुनाव अधिकारी बनाया है। शेष राज्यों में भी जल्द ही चुनाव अधिकारियों के नाम का ऐलान हो जाएगा। भाजपा आलाकमान ने राज्य प्रभारियों को इस आशय के निर्देश दे दिए हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार राज्यों से कहा गया है कि वे सितंबर महीने में समिति (बूथ) के चुनाव संपन्न करा लें। अक्टूबर माह में मंडल और जिलों के चुनाव संपन्न कराने के निर्देश दिए गए हैं। नवंबर महीने में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव संपन्न होंगे और दिसंबर में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संपन्न होगा।
भाजपा संविधान की व्यवस्था के अनुसार संगठन के चुनाव समिति से शुरू होकर मंडल, जिला और प्रदेश तक संपन्न होते हैं। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अभी राजनाथ सिंह के गृह मंत्री बनने के बाद उनके बचे कार्यकाल को पूरा कर रहे हैं।