लखनऊ- यूपी में चुनाव से पहले हर पार्टी राम के नाम को भुनाने की कोशिशों में लग गई है। आज केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा रामायण म्यूजियम के लिए जगह की तलाश में अयोध्या पहुंचे हुए हैं। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि जनता जल्द से जल्द राम मंदिर के चाहती है। इससे पहले सोमवार को अखिलेश यादव ने रामलीला थीम पार्क को मंजूरी दे दी थी। वहीँ उत्तर प्रदेश में जिस तरह से चुनाव की तारीखें करीब आ रही है उसको देखते हुए अयोध्या में राजनीति का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है। एक बार फिर से भगवान राम यूपी की राजनीति के केंद्र में आ गए हैं।
भगवान राम के जीवन को दिखाया जाएगा
केंद्र सरकार अयोध्या में 25 एकड़ के क्षेत्र में रामायण म्यूजियम बनाने जा रही है, जहां भगवान राम की जीवन यात्रा को दिखाया जाएगा। केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने खुद इस जगह का दौरा किया है। एक तरफ जहां केंद्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर किसी भी तरह का बयान देने से बच रही तो दूसरी तरफ म्यूजिम बनाने की घोषणा को यूपी की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
भगवान राम को राजनीति से ना जोड़े
हालांकि महेश शर्मा ने इस म्यूजियम को राजनीति से नहीं जोड़े जाने की बात कही है। लेकिन जिस तरह से चुनाव के करीब होने के चलते इस म्यूजियम की घोषणा की गई है उसपर बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीखा हमला बोला है, उन्होंने सरकार के इस कदम को राजनीतिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा मंदिर के मुद्दे को एक बार फिर जगाना चाहती है।
महेश शर्मा का कहना है कि अयोध्या में उनके दौरे से यूपी चुनाव का कोई लेना देना नहीं है। मैं वहां बतौर पर्यटन मंत्री जा रहा हूं, यह केंद्र सरकार का अयोध्या में टूरिज्म को बढ़ाने का प्रयास है जहां देश और दुनिया भर से लोग आते हैं।
विवादित स्थल से 15 किलोमीटर दूर
रामायण संग्रहालय को बनाने के लिए 150 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। इसका क्षेत्रफल 25 एक होगा जोकि विवादित स्थल से 15 किलोमीटर दूर है। यहां पर नेपाल और श्रीलंका के महत्वपूर्ण स्थलों को भी दर्शाया जाएगा।
1992 में ढहाई गई थी मस्जिद
आपको बता दें कि 1992 में हजारों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद पर हमला बोलकर उसे ढहा दिया था। इन लोगों का मानना था कि यह मस्जिद उसी जगह पर बनाई गई है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। इस काम में विश्व हिंदू परिषद ने सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिसका मानना है कि यहां राम मंदिर बनना चाहिए।
2010 में कोर्ट ने दिया था फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में अपने फैसले में कहा था कि इस विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटना चाहिए, जिसमें मुसलमान, हिंदू और निर्मोही अखाड़ा साझेदार होंगे। कोर्ट के इस फैसले को हिंदू और मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।