राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले कैबिनेट मंत्री यूनुस खान को टोंक विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा गया है। खान विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी की तरफ से उतारे गए एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार हैं।
पिछले सात दिनों के दौरान बीजेपी की ओर से जारी चार सूचियाें में एक भी मुस्लिम नेता को जगह नहीं दी गई था। आखिर नामांकन के अंतिम दिन सोमवार को पांचवीं और अंतिम सूची में यूनुस खान को टिकट दिया गया।
सात दिन की कसमकस के बाद यूनुस खान को टिकट तो मिला लेकिन इसके पीछे वजह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जिद रही या सचिन पायलट के सामने किसी जिताऊ प्रत्याशी को मैदान में उतारने की बीजेपी की रणनीति, कहना मुश्किल है।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और भावी सीएम उम्मीदवार सचिन पायलट को घेरने के लिए यूनुस खान बीजेपी का ट्रंप कार्ड माना जा रहा है। बीजेपी ने झालरापटन में वसुंधरा राजे के खिलाफ कांग्रेस की ओर से उतारे गए मानवेंद्र सिंह के जवाब में यह कदम उठाया है।
हालांकि, बीजेपी के इस जिताऊ कैंडिडेट का टोंक से पायलट के सामने जीत कर आना आसान नहीं होगा, खासतौर पर तब जबकि मुस्लिम समाज के विभिन्न संगठन खुलेआम कांग्रेस को समर्थन की घोषणा कर चुके हैं।
अंतिम दिन तक तक नहीं मिला टिकट
नागौर जिले की डीडवाना सीट से बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक बनने वाले यूनुस खान यूं तो सरकार में नंबर दो कैबिनेट मंत्री माने जाते रहे हैं, लेकिन मौजूदा चुनाव में उनका टिकट कटना लगभग तय माना जा रहा था।
हालांकि, पार्टी सूत्रों के अनुसार पिछले सात दिनों में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यूनुस खान की पैरवी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
लेकिन फिर भी नामांकन के दिन तक आलाकमान से हरी झंडी नहीं मिल पाई। आखिर सोमवार सुबह पार्टी की पांचवीं सूची में यूनुस को टोंक से टिकट देने का ऐलान किया गया।
सिर्फ नाम के खास नहीं काम के भी थे यूनुस खान
वर्तमान सरकार में परिवहन मंत्री यूनुस खान सिर्फ नाम के वसुंधरा राजे के खास नहीं बल्कि सरकार के लिए बड़े संकटमोचक भी साबित हुए है।
डॉक्टर हड़ताल, कर्मचारी हड़ताल, आरक्षण आंदोलन, रोडवेज हड़ताल जैसे कई गंभीर मसलों को निपटाने में यूनुस खान की अहम भूमिका रही। यही कारण रहा था कि कैबिनेट में नंबर दो मंत्री सीएम के भी खासे बने थे।