शिवसेना ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह ‘हिंदुत्व की सीढ़ियां’ चढ़कर सत्ता में आई, लेकिन उद्देश्यों की पूर्ति हो जाने के बाद उसने इसे फेंक दिया।
भाजपा पर ‘हिंदुत्व की पीठ में छुरा घोंपने’ का आरोप लगाते हुए उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि हिंदुओं से किया गया एक भी वादा अब तक पूरा नहीं किया गया है।
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा कि कांग्रेस ने कम से कम इतने वर्षों तक मुस्लिमों को खुश करने की कोशिश की, लेकिन भाजपा हिंदुओं का ख्याल रखने की बजाय उन्हें धर्मनिरपेक्ष बनाने में लगी हुई है।
शिवसेना ने दावा किया कि हिंदु आज निराश हैं। पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने उसी तरह से हिंदुओं का इस्तेमाल किया, जैसे कांग्रेस ने मुसलमानों का।
सामना ने कहा कि हिंदुओं से किया गया एक भी वादा भाजपा ने अब तक पूरा नहीं किया है, चाहे वह राम मंदिर हो या समान नागरिक संहिता हो। यह सब भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व एजेंडा में था, लेकिन यह आक्रामकता सत्ता में आने से पहले थी, जिसकी बाद में हवा निकल गई।
केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा, ‘‘भाजपा कांग्रेस की तरह हो गई है। कांग्रेस ने कम से कम इतने वर्षों तक मुस्लिमों को खुश करने की कोशिश की। भाजपा हिंदुओं का खयाल रखना तो दूर उन्हें धर्मनिरपेक्ष बना रही है। देश का कांग्रेस से कांग्रेस तक का सफर शुरू हो गया है।’’
शिवसेना ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को भी उनके उस बयान के लिये आड़े हाथ लिया जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदुओं की वर्चस्व की कोई आकांक्षा नहीं है। शिवसेना ने कहा कि उनसे अपेक्षा थी कि वह देश के मौजूदा हालात के बारे में बोलेंगे, जहां हिंदुओं को आतंकवादी बताया जा रहा है और उन्हें खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
शिकागो में गत शुक्रवार को द्वितीय विश्व हिंदु कांग्रेस को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था कि हिंदुओं की वर्चस्व की कोई आकांक्षा नहीं है। उन्होंने हिंदुओं से आह्वान किया था कि वे एकजुट हों और खुद को संगठित करें।
शिवसेना ने कहा कि नरेंद्र मोदी सिर्फ इसलिये प्रधानमंत्री बने क्योंकि हिंदू एकसाथ आए और आक्रामक हुए, लेकिन साथ आने और इस आक्रामकता से क्या फायदा हुआ। सामना ने लिखा है, ‘‘शिवसेना के साथ गठबंधन तोड़कर हिंदुत्व की पीठ में छुरा घोंपा गया। और जो लोग हिंदुत्व और देश के पक्ष में आक्रामक तरीके से बोलते हैं उन्हें भाजपा द्वारा शत्रु करार दिया जाता है।’’
पार्टी ने कहा, ‘‘हिंदुत्व की सीढ़ियों पर चढ़कर यह (भाजपा) सत्ता में आई और एकबार काम हो जाने पर सीढ़ी को फेंक दिया गया। सत्ता में बैठे फर्जी हिंदुत्ववादी आज आक्रामक हिंदुत्व की आवाज को दबाने की आकांक्षा रखते हैं और अपने ही देश में हिंदुओं को आतंकवादी बताकर खत्म करने में लगे हुए हैं।’’
पार्टी ने कहा कि भागवत से अपेक्षा थी कि वह शिकागो में इस बारे में बोलेंगे। पार्टी ने यह भी पूछा कि विश्व हिंदू कांग्रेस में उसके लिये कोई जगह क्यों नहीं थी, जबकि वह खुलेआम और आक्रामक तरीके से हिंदुत्व के बारे में बात करती है।
सामना ने लिखा है कि शिवसेना की तरह अन्य संगठन भी अपनी क्षमताओं के अनुसार हिंदुओं के मुद्दे के लिये कार्य कर रहे होंगे। उन्हें भी विश्व हिंदू कांग्रेस में जगह दी जानी चाहिये थी।
सामना ने लिखा है, ‘‘अगर ंिहदू धर्म को साथ आना है, तो यह छुआछूत क्यों।’’ शिवसेना ने दावा किया कि नेपाल से हिंदुत्व समाप्त हो गया, जबकि भारतीय प्रधानमंत्री ‘मौन’ रहे और हिमालयी देश चीन और पाकिस्तान की ‘मांद’ बन गया है।
संपादकीय में कहा गया है, ‘‘कश्मीर में आक्रामक होना तो दूर, हिंदू राष्ट्र’ के लोग हिंदू विरोधी और पाकिस्तान समर्थक महबूबा मुफ्ती से प्रेम करने लगे और कश्मीरी पंडितों से विश्वासघात किया। जब यह सब हो रहा था तो हमें मोहन भागवत से तीखी प्रतिक्रिया की अपेक्षा की थी।’’