नई दिल्ली : इस साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया है। उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर की कुल 690 सीटों का परिणाम 11 मार्च को आ जाएगा।
होली से पहले आने वाले इन परिणामों का देश की सियासत पर व्यापक असर पड़ेगा। खासतौर पर राज्यसभा में, जहां मोदी सरकार को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कहा जा सकता है कि इन चुनावों में जिसकी होली मनेगी, राज्यसभा में भी उसी का रंग जमेगा।
इन राज्यों के परिणामों का असर 2018 में दिखाई देगा जब राज्यसभा की तस्वीर बदली हुई नजर आएगी। इसके अलावा जुलाई में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव पर भी असर रहेगा।
मालूम हो, राष्ट्रपति का चुनाव सभी 29 राज्यों और 2 केंद्रशासित राज्यों के सांसद तथा विधायक मिलकर करते हैं। ऐसे में यूपी के 403 विधायक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
मौजूदा समय में राज्यसभा में एनडीए के 73 सांसद हैं, जबकि यूपीए के पाले में 71 सांसद हैं। संख्या बल के हिसाब से यूपीए से एनडीए आगे है,लेकिन बहुमत के आंकड़े (123) से एनडीए अभी भी बहुत पीछे है। संख्या बल की कमी से सत्तासीन एनडीए को राज्यसभा से कई विधेयकों को पारित कराने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
2018 में रिटायर होने वाले 68 सांसदों में से 58 सांसद अप्रैल में रिटायर हो जाएंगे। इनमें से 10 सांसद उत्तर प्रदेश से हैं। इस तरह ऊपरी सदन में भी बहुमत के लिहाज से एनडीए के लिए यूपी अहम है।
यूपी के दस राज्यसभा सदस्यों के अलावा उत्तराखंड का भी एक सदस्य रिटायर होगा। हालांकि जहां तक पंजाब और मणिपुरा का सवाल है, मई 2019 तक कोई राज्यसभा सदस्य रिटायर नहीं होगा।
गोवा अकेला ऐसा राज्य है, जहां इस साल चुनाव हो रहे हैं और वहां की एक राज्यसभा सीट भी इसी साल जुलाई में खाली होगी। हालांकि इस साल नौ और सीटें खाली हो रही हैं (तीन गुजरात से और छह प. बंगाल से), लेकिन इनका मौजूदा स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।