नई दिल्ली – विदेशों में रखे गए काले धन को लेकर मोदी सरकार द्वारा शुक्रवार को पेश किए बिल में कई कड़े प्रावधान किए गए हैं। विदेशों में जोड़ी गई संपत्ति या कमाई के बारे में जानकारी न देने पर 90 फीसदी पेनल्टी लगाई जाएगी। यह पेनल्टी संपत्ति या आय पर लगाए जाने वाले 30 फीसदी टैक्स के अतिरिक्त होगी।
लोकसभा में पेश किए गए अघोषित विदेशी आय और संपत्ति विधेयक के मुताबिक जो लोग भारी-भरकम पेनल्टी से बचना चाहते हैं, उन्हें अघोषित संपत्ति की कीमत की 30 फीसदी पेनल्टी भरने का विकल्प दिया जाएगा। इससे वे मुकदमे से भी बच सकेंगे। सरकार इस कानून को अप्रैल 2016 से लागू करना चाहती है, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं किया गया है कि अनुपालना की अवधि (compliance window) क्या होगी। टैक्स अथॉरिटीज़ इस बिल के सख्त प्रावधानों का ‘दुरुपयोग’ न कर पाएं, इसके लिए भी इसमें कुछ शर्तें लगाई गई हैं।
संपत्ति को छिपाने, घोषित न करने, गलत जानकारी देने और यहां तक कि ऐसा करने के लिए प्रेरित करने पर भी पेनल्टी के अलावा 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे में फाइनैंशल अडवाइजर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स भी अगर किसी फर्जीवाड़े में शामिल होते हैं, तो वे भी कानून की जद में होंगे।
रेवेन्यु सेक्रेटरी शशिकांता दास ने बताया, ‘इस बिल में अपराध को क्षमा करने वाली कोई योजना नहीं है। अगर ऐसा होता तो सिर्फ टैक्स देने के लिए कहा जाता, पेनल्टी नहीं लगाई जाती। मगर यहां पर आपको 30 फीसदी टैक्स देना होगा और 30 फीसदी पेनल्टी अलग से। सरकार का इरादा है कि किसी के साथ नरमी न बरती जाए। एक बार छूट सिर्फ उन लोगों को दी जाएगी, जिन्होंने विदेश में चुपके से संपत्ति जोड़ी है और अब वे किसी तरह के दाग से बचना चाहते हैं। सख्त प्रावधान इस खेल पर नकेल कसने के लिए हैं, रेवेन्यु बढ़ाने के लिए नहीं।’ अनुपालना की अवधि क्या होगी, यह पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि बिला पास होने के बाद इस बारे नोटिफिकेशन जारी की जाएगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 28 फरवरी को बजट भाषण के दौरान इस बिल को लाने का ऐलान किया था। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने काले धन के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, लेकिन सरकार बनने के बाद वह इस मुद्दे पर नरम रुख अपनाने के आरोप से घिर रही थी। यह बिल विदेशों में जमा काले धन को भारत लाने के लिए अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
बिल में इस बात का भी जिक्र है कि अगर कोई शख्स टैक्स बचाने के लिए जानबूझकर कागजात, एंट्री, या स्टेटमेंट वगैरह के साथ छेड़छाड़ करता है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। बिल में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि अगर विदेश में जोड़ी संपत्ति, आय, हित आदि का जिक्र टैक्स स्टेटमेंट में नहीं किया जाता है, तब भी 6 महीने से लेकर 7 साल की सजा हो सकती है। इसी तरह से गलत स्टेटमेंट देने पर भी कार्रवाई हगी। इससे उन फाइनैंशल अडवाइजर्स और सीए पर प्रेशर बन गया है, जो ओवरसीज़ ट्रांजैक्शन्स में शामिल रहते हैं। दोषी पाए जाने पर उन्हें 3 से 10 साल की सजा और 25 लाख से 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भरना होगा।
अनुपालना के प्रावधानों के तहत डायरेक्टर्स, मैनेजर्स, ऑफिसर्स और कंपनी के फैसलों से जुड़े अन्य पदाधिकारियों पर भी 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि सरकार ने यह कहा है कि विदेशों मे जिनके पास कम पैसा है और किसी वजह से वह नजरअंदाज हो गया है, तो पेनल्टी और मुकदमे से छूट दी जाएगी। मगर यह रकम 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
टैक्स डिपार्टमेंट के अधकारी इस कानून का दुरुपयोग न कर पाएं, इसके लिए बिल मे कहा गया है कि कि मुकदमे की इजाजत सिर्फ कमिश्नर रैंक का अधिकारी ही दे पाएगा। इसी तरह से 1 लाख रुपये से ऊपर की पेनल्टी जॉइंट कमिश्नर ही लगा पाएगा। जिन लोगों को पेनल्टी के लिए नोटिस मिलेगा, उन्हें कोर्ट में चुनौती देने पहले इसे भरना ही होगा। इस बिल के तहत भारत सरकार अन्य देशों के साथ इन्फर्मेशन एक्सचेंज, टैक्स रिकवरी जैसे विषयों पर समझौते कर सकेगी।