बॉबे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच ने कहा है कि किसी शख्स को नपुंसक कहना उसकी मानहानि के बराबर है।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल मानहानि के तहत अपराध है। हाईकोर्ट ने यह बात एक महिला की उस अर्जी को खारिज करते हुए कही जिसमें उसके पति की शिकायत पर उसपर आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई थी।
जज सुनील शुखरे ने कहा कि यह शब्द दूसरों के प्रति डरावनी राय बनाने की प्रवृत्ति पैदा करता है। इसलिए धारा 499 के तहत प्रतिष्ठा को नुकसान और आईपीसी की धारा 500 मानहानि की सजा के तहत यह अपराध है।
बता दें कि दंपत्ति के बीच बेटी के जन्म लेने के बाद से झगड़ा चल रहा था। लगातार बढ़ते झगड़े के बीच महिला नवंबर 2016 में अपने पति को छोड़कर अपनी मां के घर चली गई थी।
इसके बाद महिला ने कोर्ट से तलाक की भी मांग की। इस मामले में कोर्ट ने बेटी की कस्टडी पिता को दी। इसके बाद पत्नी ने अपने पति पर गंभीर आरोप लगाए।
जिसके बाद पत्नी ने आरोपों से परेशान होकर पति ने कोर्ट में शिकायत की और मानहानि के लिए ससुरालवालों पर आईपीसी की धारा 500 और 506 के तहत केस कर दिया।
इस मामले में जब जांच की गई तो महिला ने तर्क दिया कि वह अपनी याचिका में पति की नपुंसकता के बारे में लिखने से बचना चाहती थी। लेकिन वह अब यह सब बताने को मजबूर है।
महिला ने बताया कि उनके बच्चे का जन्म मेडिकल ओव्यूलेशन पीरियड तकनीक के द्वारा किया गया था।
उन्होंने बताया कि यह सुझाव भी उन्हें एक स्त्री रोग विशेषज्ञ ने दिया था। पुलिस जांच के बाद पता चला कि पति पर दवाब बनाया गया था कि अगर पत्नी की बात नहीं मानी तो उसकी प्रतिष्ठा खराब कर दी जाएगी।