वैसे तो भारतीय रेलवे ने यात्रियों को बेहतर सेवाएं मुहैया कराने के लिए कई बड़े एलान किए हैं। लेकिन अब रेलवे यात्रियों के लिए एक बुरी खबर आई है।
यात्रियों को ट्रेन के सफर के ऑनलाइन रिजर्वेशन के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। आइए जानते हैं नए नियम के बारे में।
रेल मंत्रालय ने संचालन लागत दोबारा वसूलने का फैसला किया है, जिसमें मार्केटिंग और बिक्री सेवाएं शामिल हैं।
बता दें कि डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए पहले सरकार की ओर से ई-टिकटों पर सर्विस चार्ज खत्म किया गया था। लेकिन अब यह फिर से वसूला जाएगा।
स्लीपर क्लास के टिकट पर पहले 20 रुपये और एसी बोगी में सीट के लिए 40 रुपये का सर्विस चार्ज देना पड़ता था।
पहले सर्विस चार्ज न वसूले जाने की यह व्यवस्था जून 2017 तक रहनी थी। बाद में इसकी समयसीमा बढ़ा दी गई थी।
सर्विस चार्ज से होने वाली कमाई का रेलवे की कुल आय में बड़ा योगदान था इसलिए भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) की कमाई पर इसका काफी असर पड़ा है।
आईआरसीटीसी को वित्त मंत्रालय की ओर से 88 करोड़ रुपये का रीइम्बर्समेंट होना था, लेकिन यह रकम पर्याप्त नहीं थी।
रेलवे बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर ट्रैफिक कमर्शियल (जनरल) बीएस किरन की ओर से लिखे गए पत्र में फिर सर्विस चार्ज लगाए जाने की बात कही गई है।
हालांकि इस संदर्भ में अभी आईआरसीटीसी के सभी निदेशक चर्चा करेंगे और तभी सर्विस चार्ज की दर तय की जाएगी। लोगों को उम्मीद है कि ई-टिकटों पर सर्विस चार्ज उसी दर से वसूला जाएगा, जैसा पहले किया जाता था।
नवंबर 2016 तक यात्रियों से ई-टिकटों पर सर्विस चार्ज वसूला जाता था। सर्विस चार्ज के जरिए इकट्ठा रकम का इस्तेमाल ई-टिकटिंग सिस्टम के लिए होता था। 19 जुलाई 2019 को रेलवे को लिखे एक लेटर में वित्त मंत्रालय ने लिखा था कि ई-टिकटिंग सिस्टम की संचालन लागत पूरा करने के लिए रीइम्बर्समेंट की व्यवस्था अस्थाई थी।