कर्नाटक में भाजपा के नेता बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को एक बार फिर सीएम पद की शपथ ले ली।
राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल वजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को पद तथा गोपनीयता की शपथ दिलाई।
शपथ-ग्रहण के बाद सभी की नजर इस पर टिकी होगी कि वे सदन में बहुमत कैसे साबित करते हैं? कहा जा रहा है कि सोमवार या मंगलवार को शपथ-ग्रहण हो सकता है।
इससे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा सुबह 10 बजे राज्यपाल वजुभाई वाला से मिलने राजभवन पहुंचे। यहां उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए दोपहर बाद ही शपथ ग्रहण की अनुमति मांगी।
हालांकि, रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि राज्यपाल ने कहा कि यह संभव नहीं हो सकेगा इसके बाद उन्होंने येदियुरप्पा को शाम का वक्त दिया।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद बाहर आए येद्दियुरप्पा ने घोषणा कर दी कि वो शाम 6 बजे राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे।
भले ही येदियुरप्पा राज्यपाल से मिलने पहुंचे हैं लेकिन स्पीकर द्वारा बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार ना किए जाने के कारण बहुमत को लेकर स्थिति बिगड़ सकती है।
जब तक इस्तीफे स्वीकार नहीं हो जाते, विधानसभा की सदस्य संख्या 225 (मनोनीत समेत) बनी रहेगी और साधारण बहुमत का आंकड़ा 113 होगा।
ऐसी स्थिति में दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के बावजूद हमारे पास बहुमत से छह विधायक कम रहेंगे। अगर स्पीकर बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लेते हैं या उन्हें अयोग्य घोषित कर देते हैं तो विधानसभा की सदस्य संख्या घटकर 210 रह जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 106 होगा।
कर्नाटक के भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और राज्य में आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया।
प्रतिनिधिमंडल में जगदीश शेट्टार, बसावराज बोम्मई, अरविंद लिंबावली और जेसी मधुस्वामी शामिल थे।
राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि वर्तमान राजनीतिक हालात में कोई भी स्थिर सरकार नहीं दे सकता।
उन्होंने कहा, “भाजपा के बनाए माहौल में आप विकास कार्यों पर फोकस करोगे या 20-25 स्थानों के उपचुनावों पर? हम सोच भी नहीं सकते कि चुनावों के बाद भी सरकार स्थिर रहेगी।”
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सिद्दरमैया ने मीडिया में आई उन खबरों को खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया है कि कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को अस्थिर करने के लिए उन्होंने ही बागी विधायकों को इस्तीफा देने के लिए उकसाया था।