येदियुरप्पा के पद से हटाए जाने की खबर आते ही राज्य का सबसे बड़ा समुदाय लिंगायत उनसे संपर्क साधे हुए था। लगभग 17 फीसदी आबादी लिंगायत है, इसमें बीजेपी और येदियुरप्पा के पक्के समर्थक शामिल हैं।
नई दिल्ली : पिछले दिनों से चल रही अटकलों के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के लिए वह राजभवन पहुंच चुके हैं।
येदियुरप्पा ने अपने इस्तीफे की जानकारी उनकी सरकार को 26 जुलाई को दो साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में दी है।
बीएस येदियुरप्पा ऐसी संभावना जता चुके थे कि शायद 25 जुलाई को उनका मुख्यमंत्री के तौर पर आखिरी दिन होगा।
उनका कहना था कि 25 जुलाई को केंद्रीय नेतृत्व उन्हें जो भी निर्देश देगा, वह 26 जुलाई से उसी के अनुसार काम शुरू करेंगे। उनका यह भी कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर उन्हें पूरा विश्वास है। आलाकमान जो भी निर्देश देगा, उन्हें वह मंजूर होगा।
इस बारे में शनिवार को उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पहले दिन से ही उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया है। लेकिन वह लोगों के जीवन का बेहतर बनाने के लिए किए गए ईमानदारी के काम को लेकर संतुष्ट हैं।
बीएस येदियुरप्पा ने रविवार को कहा था कि वो इस पद पर बने रहेंगे या नहीं, कल तक (26 जुलाई) पता चल जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि वो अगले 10 से 15 साल तक भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। येदियुरप्पा कर्नाटक के लिंगायत समुदाय से आते हैं। समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
वहीं कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री की रेस में भी बीजेपी के कुछ नेताओं का नाम है। इनमें प्रह्लाद जोशी, बीएल संतोष, सीटी रवि, मुरुएश आर निरानी, बासवराज बोम्मई, अरविंद बेलाड़ और बासनगौड़ा पाटिल यतनाल प्रमुख हैं।
वहीं येदियुरप्पा के पद से हटाए जाने की खबर आते ही राज्य का सबसे बड़ा समुदाय लिंगायत उनसे संपर्क साधे हुए था। लगभग 17 फीसदी आबादी लिंगायत है, इसमें बीजेपी और येदियुरप्पा के पक्के समर्थक शामिल हैं। समुदाय राज्य के 224 विधानसभा क्षेत्रों में से 90-100 में चुनाव के परिणाम निर्धारित कर सकता है।