बाड़मेर-पश्चिमी सरहद पर सीमा सुरक्षा बल के जवान ऊंट पर गश्त करते हुए अब डाक टिकट पर दिखेंगे। सीमा सुरक्षा बल के स्वर्ण जयंती के अवसर पर सरहद पर चौकसी एवं जीवन पर्यन्त डयूटी को दर्शाते हुए विशेष डाक टिकट जारी किया गया है।
सरहद पर चौकसी के साथ गश्त में इस्तेमाल होने वाले रेगिस्तान के जहाज ऊंट पर सवार बीएसएफ के जवानों को इसमें दर्शाया गया है। पांच रूपए के इस डाक टिकट पर रेगिस्तानी परिवेश के साथ तारबंदी, रेतीले धोरों के अलावा सीमा सुरक्षा बल के लोगो को शामिल किया गया है।
नई दिल्ली में पुलिस शहीद दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान इस डाक टिकट का विमोचन किया गया है। सीमा सुरक्षा बल इस साल स्वर्ण जयंती समारोह मना रहा है। स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर सीमा सुरक्षा बल ने अपने शहीदों की शौर्य पूर्ण गाथाओं को एक पुस्तक बीएसएफ मारटियस ए लीजेसी आफ प्राइड एंड वलोर के रूप में संग्रहित किया है।
इसमे वर्ष 1965 से लेकर अब तक के स्वर्णिम सफर में सीमा सुरक्षा बल के 1551 बहादुर सीमा प्रहरियों के देश के नाम पर कुर्बान होने, अटूट कर्तव्यनिष्ट, अगाध देश प्रेम और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अद्भुत समर्पण को दर्शाया गया है।
सीमा प्रहरियों के बलिदान के स्वरूप भारत सरकार ने अब तक सीमा सुरक्षा बल को 01 महावीर चक्र ,11 वीर चक्र, 04 कीर्ति चक्र, 12 शौर्य चक्र, वीरता के लिए 231 राष्ट्रपति पुलिस पदक और 870 वीरता पुलिस पदकों से सम्मानित किया है।
सीमा सुरक्षा बल का गठन 01 दिसंबर 1965 को 25 बटालियनों के साथ हुआ था। मौजूदा समय में अपने ढाई लाख प्रहरियों के साथ विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल होने के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती 6623 कि.मी. अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की हिफाजत करता है।
सीमा सुरक्षा बल को अपने गठन के प्रारंभिक वर्षों में ही बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में मुक्ति वाहिनी की सहायता का अत्यंत ही महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया था। सीमा सुरक्षा बल ने इस दायित्व को निभाने के साथ बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में जो योगदान दिया, वह इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।
रिपोर्ट :- मदन बारुपाल