दार्जिलिंग में लगातार सातवें दिन हिंसा और बवाल जारी है। इस बवाल में सुरक्षाबलों के साथ हिंसा में 3 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के बाद दार्जिलिंग में प्रदर्शनों का दौर तेज हो गया है। हालांकि दार्जिलिंग में कर्फ्यू जारी है, पर गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा(जीजेएम) के अध्यक्ष बिमल गुरुंग लोगों को भड़काते और कर्फ्यू तोड़ने की अपील करते दिखे। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने मार्च को रोकने की कोशिश की तो वो बड़ी मुश्किल खड़ी करेगें।
गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा(जीजेएम) के अध्यक्ष बिमल गुरुंग ने रविवार की सुबह से ही लोगों से दार्जिलिंग के मशहूर चौक बाजार पहुंचने की अपील की थी, ताकि वो प्रदर्शन में शामिल हो सके। जबकि इस पूरे इलाके में कर्फ्यू लगाया गया है। गुरुंग की अपील पर सुबह 11.20 बजे से शांति मार्च शुरु हो गया। मार्च के लिए काफी संख्या में लोग चौक बाजार पहुंचे।
मार्च के दौरान गुरुंग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया, जिसमें ममता बनर्जी ने कहा था कि गुरुंग के संबंध नॉर्थ-ईस्ट में सक्रिय आतंकवादी संगठनों से हैं। गुरुंग ने ममता पर हमला बोलते हुए कहा कि वो गोरखालैंड के आंदोलन की राह भटकाने के लिए ऐसा बयान दे रही हैं।
गुरुंग ने प्रशासन को धमकाते हुए कहा है कि अगर पुलिस ने उन्हे रोकने की कोशिश की, तो वो बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। उनका इशारा हिंसा की तरफ भी हो सकता है।
गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा(जीजेएम) ने ये दार्जिलिंग बंद होने के सातवें दिन ये विरोध प्रदर्शन शनिवार को अपने 3 कार्यकर्ताओं के मारे जाने के विरोध में बुलाया है। जीजेएम के 3 काडर शनिवार को पुलिस के साथ झड़प में मारे गए थे, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दार्जिलिंग के लोग हिंसा का सहारा न लें। उन्होंने कहा कि हिंसा से किसी का भी फायदा नहीं होगा।
इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने ममता बनर्जी से दार्जिलिंग हिंसा पर बातचीत की है।
गौरतलब है कि गोरखालैंड की मांग को लेकर दार्जिलिंग में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों का ये नया दौर कुछ समय से बंगाली भाषा को लादे जाने के विरोध में हो रहा है। दरअसल, ममता बनर्जी की अगुवाई में पश्चिम बंगाल सरकार ने बंगाली को पश्चिम बंगाल के सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य बना दिया था। जिसके बाद बंगाली लादे जाने के विरोध में गोरखालैंड के अर्ध-स्वायत्तशाषी इलाकों में हिंसा फैल गई। मौजूदा समय में दार्जिलिंग में सुरक्षा बलों के साथ ही आर्मी की भी तैनाती की गई है।