खंडवा : CAA और NRC के विरोध की आग अब NPR तक पहुंच गई हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस की रैली में साफ कह दिया की वे CAA को वापस नहीं लेंगे लेकिन इसको लेकर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन में अब लोग सरकार के खिलाफ खड़े होते जा रहा हैं।
खंडवा में CAA और NRC के विरोध हो रहे आंदोलन में आदिवासी नेता माधुरी बेन ने NPR के मुद्दे पर केंद्र सहित मध्यप्रदेश सरकार को भी अड़े हाथों लेते हुआ कहा कि राज्य सरकार NPR के नोटिफिकेशन को तुरंत रद्द करें। क्यों कि NPR ही NRC की पहली सीढ़ी हैं। अगर राज्य सरकार इसे रद्द नहीं करेंगी तो उसके खिलाफ भी बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आप पीड़ित शरणार्थियों को बुलाना चाहते है वे अच्छी बात हैं। तो पहले आप रोहिंग्या मुसलमानों को बुला लो। वह भी प्रताणित हैं लेकिन आप उन्हें इसलिए नहीं बुलाना चाहते क्यों की वे मुस्लमान हैं। मोहन भगवत के आदिवासियों को हिंदू बताए जाने वाले बयान पर कहा कि मोहन भगवत को कोई हक़ नहीं बनता की किसी का धर्म तय करे।
खंडवा में दलित और मुस्लिम समाज द्वारा CAA और NRC के विरोध में आम सभा का आयोजन किया गया। इस आम सभा में प्रदेश और देश भर से आए आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया। CAA और NRC के विरोध में हुई आम सभा में आदिवासी नेता माधुरी बेन ने NPR के मुद्दे को उठाते हुए कहा की प्रदेश की कांग्रेस सरकार को चाहिए की तुरंत इस का नोटिफिकेशन रद्द करें।
उन्होंने कहा कि NPR ही NRC की शुरुआत हैं और NRC एक विभाजनकरी प्रतारणा हैं। जिसके चलते असम में 19 लाख लोगों की नागरिकता छीनी गई। जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी थे महिलाए थी दलित थे गरीब थे जिनके हालात ऐसे हैं की वे कागज नहीं बना सके। और यही हल जब देश भर में होगा तो असम की स्थिति देख चुके हैं वहां क्या हुआ। इसका मतलब तो सरकार जालिम सरकार की तरह पुरे देश में यही हालत बनाना चाह रही हैं।
उन्होंने कहा कि 80 फीसदी मध्यप्रदेश इस NPR से प्रताणित होगा। NPR के बाद जब लोगों से साबुत माँगा जाएगा तो ये एक हकीकत हैं की इन गरीब आदिवासियों के पास कागज नहीं हैं। माधुरी बेन ने कहा की मध्यप्रदेश सरकार NPR की अधिसूचना को खारिज करें और NPR को किसी भी तरह जनगणना लिंक न किया जाए।
आदिवासी नेता माधुरी बेन ने प्रधानमंत्री के CAA को किसी भी हल में वापस नहीं लिए जाने वाले बयान पर कहा की ये बड़ी ही शर्मनाक बात हैं लोकतंत्र में कोई भी सरकार कहे की हमें जनता की सुनना ही नहीं हैं। जबकि पूरा देश आज सड़कों पर हैं और आप कह रहे हैं कि जिस देश ने हमें चुना हैं उसे सुनने की हमें कोई जरुरत नहीं है। मतलब सरकार सविधान के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। सविधान में तो धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया गया। लेकिन जो कानून बना है वे पूरी तरह भेदभाव पूर्ण कानून हैं।
उन्होंने कहा कि आप पीड़ित शरणार्थियों को बुलाना चाहते है वे अच्छी बात हैं। तो पहले आप रोहिंग्या मुसलमानों को बुला लो। पूरी दुनिया जानती है की मयंमार के खिलाफ अंतररष्ट्रीय न्ययालय में केस चल रहा हैं। रोहिंग्या को परेशान किया जा रहा हैं उनके घर जलाये गए तो उन्हें भी बुलाना चाहिए लेकिन आप उन्हें इसलिए नहीं बुला रहे क्यों की वे मुस्लमान है
माधुरी बेन ने मोहन भगवत के आदिवासियों को हिंदू बताए जाने वाले बयान पर कहा कि मोहन भगवत को कोई हक़ नहीं बनता की किसी को बोले की उसका धर्म ये है की वो हैं। हम जानते है हमारा धर्म किया हैं। ऐसे में आदिवासी खुद तय करेगा उसका धर्म क्या हैं। अगर NPR होता हैं तो उसमें कॉलम होना चाहिए यह कहने के लिए की हमारा धर्म आदिवासी हैं। हमें तो लगता हैं की मोहन भगवत धमकी दे कर धर्म लिखवाना चाहते हैं।