मैं गांव में अपने घर पर पैदा हुआ था, उस वक्त वहां कोई अस्पताल नहीं थे, गांव के बुजुर्ग ही ‘जन्मनामा’ लिखते थे, जिस पर कोई आधिकारिक मुहर नहीं होती थी, जब मैं पैदा हुआ था, हमारे पास 580 एकड़ जमीन थी और एक इमारत भी थी तो क्या मुझे जिंदा नहीं रहना चाहिए, क्या मुझे मर जाना चाहिए, जब मैं अपना जन्म प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पा रहा तो दलित, आदिवासी और गरीब लोग कहां से जन्म प्रमाणपत्र लाएंगे, नया प्रारूप 1 अप्रैल से लागू होना है, ऐसे में लोगों के अंदर खौफ होना लाजिमी है।हैदराबाद: राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बने सीएए कानून और एनआरसी पर अब मुख्यमंत्री केसीआर ने बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा कि तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनके पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के नए प्रारूप का जिक्र करते हुए केसीआर ने कहा कि जब मेरे खुद का जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो मैं अपने पिता का प्रमाणपत्र कहां से लाऊंगा, यह मेरे लिए भी चिंता की बात है।
मैं गांव में अपने घर पर पैदा हुआ था, उस वक्त वहां कोई अस्पताल नहीं थे, गांव के बुजुर्ग ही ‘जन्मनामा’ लिखते थे, जिस पर कोई आधिकारिक मुहर नहीं होती थी, जब मैं पैदा हुआ था, हमारे पास 580 एकड़ जमीन थी और एक इमारत भी थी तो क्या मुझे जिंदा नहीं रहना चाहिए, क्या मुझे मर जाना चाहिए, जब मैं अपना जन्म प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पा रहा तो दलित, आदिवासी और गरीब लोग कहां से जन्म प्रमाणपत्र लाएंगे, नया प्रारूप 1 अप्रैल से लागू होना है, ऐसे में लोगों के अंदर खौफ होना लाजिमी है।
केसीआर ने कहा कि सीएए और एनआरसी को लेकर लोगों में खौफ बना हुआ है, सीएए को लेकर लोगों में संदेह बना हुआ है इसलिए इस खौफ और संदेश पर चर्चा बेहद जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नागरिक संशोधन कानून की सबसे बुरी बात यह है कि ये भारतीय संविधान के मूल सिद्धांत के ही खिलाफ है, जैसे संविधान सभी नागरिकों को उनकी जाति, धर्म और पंथ से इतर समान व्यवहार करने का वादा करता है, कोई भी सभ्य समाज एक ऐसे कानून को स्वीकार नहीं करेगा, जो एक धर्म विशेष के लोगों को बाहर रखता हो।