नई दिल्ली – गुरुवार को संसद में रखी गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी निशाने पर आ सकते हैं। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पूर्ति सखर कारखाना लिमिटेड को भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) द्वारा 84.12 करोड़ रुपए का लोन दिए जाने में नियमों की अनदेखी की गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गडकरी कंपनी के प्रमोटर/निदेशकों में शामिल थे।
अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ की खबर के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया कि आईआरईडीए 84.12 करोड़ में से केवल 71.35 करोड़ रुपए ही वसूल पाई। इससे उसे 12.77 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । ऐसा करने के पीछे पूर्ति प्रबंधन की ओर से जो तर्क दिए गए वे भी काफी अपुष्ट थे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पूर्ति सखर कारखाना ने सब्सिडी लेने के लिए जरूरी नियमों का पालन भी नहीं किया । इसमें कहा गया है कि उधार लेने वाली कंपनी ने सब्सिडी स्कीम्स का फायदा लेने के लिए जरूरी नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया।
जिस प्रोजेक्ट को फरवरी 2004 में शुरू होना था, वह मार्च 2007 में शुरू हो पाया और इसके साथ ही बाद में (जून 2009) में इसे 100 फीसदी कोयला आधारित कर दिया गया। हालांकि सब्सिडी स्कीम में शामिल होने के लिए प्रोजेक्ट 25 फीसदी ही कोयला आधारित हो सकता है।
कंपनी के प्रमोटर्स और/या निदेशकों ने लोन के लिए अपनी निजी गारंटी दी थी। प्रोजेक्ट 18 मार्च 2007 में शुरू हो पाया और इसे 31 मार्च 2007 को नॉन परफॉरमिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया गया।
हालांकि लोन मार्च 2007 में ही एनपीए बन गया था, सब्सिडी के 1.66 करोड़ रुपए दिसंबर 2009 तक नहीं दिए गए। बिना इस्तेमाल की गई 0.22 करोड़ रुपए की सब्सिडी मंत्रालय को अगस्त 2010 में रिफंड की गई। सीएजी के ऑडिट के अनुसार, नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय की सब्सिडी स्कीम में कई अनियमितताएं पाई गईं।