चंडीगढ़ : सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर से जल बंटवारे के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पंजाब सरकार को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा है कि एसवाईएल पर निर्माण कार्य जारी रहेगा। फैसले के विरोध में कांग्रेस सांसद अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। पंजाब के सभी कांग्रेस विधायकों ने भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने इस्तीफे भेज दिए हैं।
कांग्रेस विधायक दल के डेप्युटी लीडर भारत भूषण ने कहा कि पंजाब कांग्रेस के विधायकों ने अमरिंदर सिंह को इस्तीफा भेज दिया है। शुक्रवार को स्पीकर को व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफा सौंपेगे। उन्होंने कहा कि पंजाब एक बूंद पानी भी देने की स्थिति में नहीं है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही कहा था कि अगर फैसला पंजाब के खिलाफ आया तो कांग्रेस के सभी विधायक इस्तीफा देंगे। अमरिंदर सिंह के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि ये राजनीतिक ड्रामा है। आगे क्या करना है ये कैबिनेट की बैठक में तय किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पंजाब अन्य राज्यों के साथ हुए समझौते से एकतरफा निर्णय करके बाहर नहीं जा सकता। कोर्ट ने सतलुज यमुना संपर्क नहर मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सवालों का नकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि इस तरह अन्य राज्यों के साथ जल बंटवारे का समझौता रद्द करने का पंजाब का कानून अवैध है। फैसले पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि फैसला देरी से आया लेकिन हक में आया. मैं इसका स्वागत करता हूं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एडिशनल अटॉर्नी जनरल देवेंद्र सैनी ने कहा है कि अदालत ने हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे जल बंटवारे के विवाद में हरियाणा सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है। इससे ये साफ होता है कि हरियाणा को पानी मिलेगा। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जल बंटवारे के मुद्दे पर बने समझौते को तोड़ने का पंजाब सरकार को कोई हक़ नहीं।
ये है विवाद
सतलुज-यमुना लिंक नहर के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था. 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी और उसी पर सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया. इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा, ‘अगर अदालत का फैसला हमारे खिलाफ आया तो पानी नहीं, अपने खून का एक-एक कतरा बहा देंगे।
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