पटना : धीरे-धीरे बिहार घोटालेबाजों का अखाड़ा बनता जा रहा है, एक पर एक ऐसे घोटाले सामने आए हैं जिसने सरकार की नींद उड़ा कर रख दी है और इस मामले में कई सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। फिर भी अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाले का खेल खेला जा रहा है। हाल-फिलहाल बिहार में चल रहे चर्चित सृजन घोटाले का मामला अभी तक शांत नहीं हुआ कि एक और घोटाला सामने आ गया है। जिसमें वर्तमान आईएएस के साथ-साथ दो सेवानिवृत आईएएस सहित 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। ये मामला करीब चार करोड़ रुपए के घोटाले का है। जिस में निगरानी विभाग के द्वारा जांच-पड़ताल करने के बाद FIR दर्ज किया गया है।
आपको बता दें की बिहार में हुए चार करोड़ के घोटाले में बिहार सरकार के द्वारा महादलित विकास मिशन को सफल बनाने के लिए करोड़ों रुपए आवंटित किए गए थे और इसका टेंडर श्रीराम न्यू होरिजन और आइआइआइएम कंपनी को दिया गया था। जिससे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले महादलित अभ्यर्थियों को सुविधा और साधन मिल सके लेकिन महादलित अभ्यर्थियों को लाभ दिलाने के बजाए इसमें सभी अपनी जेब भरने में लगे हुए थे। जिस बात की शिकायत की गई और निगरानी विभाग के द्वारा जांच के बाद इसमें दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
वहीं मामले की जानकारी देते हुए निगरानी विभाग ने बताया कि टेंडर लेने वाली कंपनी ने एक षड्यंत्र के तहत प्रशिक्षण लेने वालों का गलत आकड़ा बताते हुए सरकार के द्वारा जारी की गई राशि को चूना लगाने का काम किया है और करोड़ों रुपए के घोटाले की बात सामने आई। जिसके बाद मिशन की ओर से मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया और इस पत्र के आरोप में सरकार ने निगरानी विभाग को जांच का जिम्मा सौंपा है। जिसके बाद निगरानी विभाग ने डीएसपी अरुण कुमार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया और मामले की जांच-पड़ताल शुरु की। वहीं जांच के दौरान 10 लोगों को आरोपी बनाया गया जिसकी इस घोटाले में संलिप्तता पाई गई।
इसमें आईएएस रवि मनु भाई परमार जो मिशन के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के वर्तमान उपाध्यक्ष, निलंबित आईएएस एसएम राजू बिहार महादलित विकास मिशन के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, सेवानिवृत आईएएस केपी रमैया मिशन के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी एवं बिहार भूमि न्याय अधिकरण, पटना के वर्तमान सदस्य, सेवानिवृत आईएएस रामाशीष पासवान मिशन के तत्कालीन निदेशक, प्रभात कुमार मिशन के तत्कालीन निदेशक सेवानिवृत बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, देवजानी कर मिशन की राज्य परियोजना पदाधिकारी, उमेश मांझी मिशन के राज्य परियोजना प्रबंधक, शरत कुमार झा कोलकाता आधारित साल्ट लेक सिटी स्थित इंडस इंटेगरेटेड इंफॉरमेशन मैनेजमेंट लिमिटेड के निदेशक, सौरभ बसु न्यू दिल्ली आधारित श्रीराम न्यू होरिजन कंपनी के उपाध्यक्ष, जयदीप पटना बेलीरोड के जगत अमरावती अपार्टमेंट के निवासी पर आईपीसी की धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471, 477ए और 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
आपको बता दें की साल 2007 में बिहार सरकार के महादलितों के उत्थान के लिए महादलित विकास मिशन का गठन किया था। ये मिशन 2010 से काम करने लगा, जिसमे इस मिशन को विकास मित्रों की नियुक्ति, सामुदायिक भवन सह कार्य शेड का निर्माण, सहायता कॉल केंद्र की स्थापना, विशेष विद्यालय सह छात्रावास का निर्माण, दशरथ मांझी कौशल विकास योजना, मुख्यमंत्री महादलित रेडियो योजना के तहत रेडियो वितरित करने, मुख्यमंत्री पोशाक योजना के तहत पोशाक का वितरण करने की बिहार सरकार ने स्वीकृति दी थी। लेकिन इसमें काम करने वाली प्राइवेट कंपनी ने कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को गलत आकड़ा पेश कर करोड़ों रुपए का चूना लगाने का काम किया है।