उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में बुधवार देर रात लखनऊ के हजरतगंज थाने में मामला दर्ज करा दिया।
सरकार की ओर से बुधवार को जारी बयान के मुताबिक, इस मामले में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स के संचालकों, प्रधानाचार्य डॉ. राजीव मिश्र व उनकी पत्नी समेत सात कर्मचारियों एवं डाक्टरों को नामजद किया गया है।
मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में हुई बच्चों की मौत के मामले में मुख्य सचिव राजीव कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा था। कुमार ने मामले की जांच के बाद रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सोमवार को सौंप दी थी, जिसके बाद ही चिकित्सा शिक्षा की अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन को हटा दिया गया था।
इस मामले में प्रथम दृष्टया गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य पर प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और अनदेखी के आरोप पाए गए हैं। जांच में यह भी पाया गया है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कंपनी के भुगतान में कमीशनखोरी भी समस्या थी। इसी वजह से पुष्पा सेल्स के 68 लाख रुपये के भुगतान में देरी हो रही थी।
मुख्य सचिव की रिपोर्ट में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बालरोग विभाग के प्रमुख डॉ. कफील खां, खरीदारी विभाग के प्रमुख डॉ़ सतीश कुमार, प्रधानाचार्य डॉ़ राजीव मिश्र व उनकी पत्नी डॉ पूर्णिमा शुक्ला को भी भ्रष्टाचार के आरोप में नामजद किया गया है।
इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के लेखाविभाग के कर्मचारियों को भी दोषी पाया गया। साथ ही चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल को भी नामजद किया गया है। गौरतलब है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कथित तौर पर ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी की वजह से लगभग 60 बच्चों की मौत हो गई थी।