केंद्र सरकार को सीधी चुनौती देते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को छापेमारी करने और जांच करने की इजाजत देने से मना कर दिया है।
उनके इस फैसले ने सभी को चौंका दिया है। नायडू ने उस आम सहमति को वापस ले लिया है जो दिल्ली स्पेशल पुलिस इश्टैब्लिशमेंट (दिल्ली पुलिस विशेष स्थापना अधिनियम) के सदस्यों को राज्य के अंदर अपनी शक्तियों और अधिकारक्षेत्र का प्रयोग करने के लिए दी गई थी।
इसके अलावा राज्य जांच एजेंसी (एसीबी) राज्य में सीबीआई की जिम्मेदारियों को निभाएगी। इसका मतलब यह है कि अब सीबीआई आंध्र प्रदेश की सीमा के अंदर सीधे किसी मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
कुछ दिनों पहले ही नायडू ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वह उनसे व्यक्तिगत प्रतिशोध लेने के लिए राज्य को खत्म करने की साजिश कर रही है।
नायडू सरकार के इस फैसले से केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने आ गए हैं। फैसले के संबंध में प्रधान सचिव (गृह) एआर अनुराधा ने आदेश जारी किया जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
अब सीबीआई अधिकारियों को किसी भी आधिकारिक काम के लिए राज्य सरकार से पूर्वानुमति लेनी होगी।
राज्य सरकार का मानना है कि हाल में उपजे विवाद के कारण सीबीआई ने अपनी पवित्रता, अखंडता और विश्वसनीयता को खो दिया है। इसी वजह से आंध्र के मामलों में उसका हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पिछले दिनों नायडू ने यह आशंका जताई थी कि आने वाले दिनों में राज्य के पूजा स्थलों पर हमला हो सकता है। उन्होंने कहा था कि राज्य की कानून व्यवस्था को खराब करने के लिए बिहार और दूसरे राज्यों के गुंडों को राज्य में लाया जा रहा है।
इस तरह राज्य और केंद्र के बीच बढ़ेगा तनाव
सीबीआई से शक्तियां लेकर एसीबी को देने की वजह से केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनाव और बढ़ सकता है। अब शक की किसी भी स्थिति में एसीबी राज्य में स्थित केंद्र सरकार के विभागों और संस्थानों पर छापा मार सकती है।
इस साल की शुरुआत में तेलुगू देशम पार्टी ने भाजपा शासित केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। जिसके बाद से दोनों के रिश्ते सामान्य नहीं हुए हैं।
आंध्र प्रदेश के फैसले का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘नायडू ने अपने राज्य में सीबीआई को न आने देने का फैसला करके सही काम किया है।