सीबीआई कर्मचारी के फर्जी सॉफ्टवेयर के जरिये रेलवे टिकट बुकिंग का मामला प्रकाश में आने के बाद अब सीबीआई ऑनलाइन तत्काल बुकिंग सॉफ्टवेयर समेत सभी टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयरों की निगरानी कर रही है, जिसका इस्तेमाल ट्रैवल एजेंट अवैध तरीके से टिकट बुकिंग करने के लिए करते हैं।
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि सॉफ्टवेयर बनाने वाले को पकड़ने के लिए हमने जांच आगे बढ़ाते हुए निगरानी रखने का फैसला किया है। 27 दिसंबर को अवैध रेलवे टिकटिंग सॉफ्टवेयर बनाने के आरोप में सीबीआई ने खुद अपने ही सहायक प्रोग्राम अजय गर्ग और अनिल कुमार गुप्ता नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है।
सीबीआई को अजय गर्ग से पूछताछ के दौरान मालूम पड़ा ही बाजार में इस तरह के कई ऑनलाइन सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, जिससे काफी तेजी से एक बार में कई सारे टिकट बुक किए जा सकते हैं। इतना ही नहीं कोई भी इस तरह के सॉफ्टवेयर को आसानी से कुछ पैसे देकर खरीद सकता है। सूत्रों ने कहा कि गर्ग ने भी ‘नियो’ नाम से इसी तरह का एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर बनाया था।
एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह के सभी सॉफ्टवेयर पर सीबीआई निगरानी रख रही है। हमलोग जांच कर रहे हैं, अगर अवैध तरीके से टिकट बुकिंग का कोई भी मामला सामने आता है तो जल्द ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक सॉफ्टवेयर उस ‘ऑटो फिल’ सिस्टम पर भी निगरानी रख रहा है, जिसके जरिए लोग 10 बजे तत्काल टिकट बुक कराने के समय से पहले अपनी सारी डिटेल भर कर तैयार रखते हैं, जिससे की जल्दी से टिकट बुक किया जा सके।
उन्होंने बताया कि इस तरह के अवैध सॉफ्टवेयर आईआरसीटीसी कैपाचा को नजरअंदाज करते हुए पीएनआर जेनरेटिंग प्रक्रिया की स्पीड को बढ़ा देता है। सूत्रों के अनुसार गर्ग और गुप्ता की गिरफ्तारी ने आईआरसीटीसी टिकट बुकिंग प्रणाली की कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए कथित सॉफ्टवेयर ट्रिकरी का पर्दाफाश किया है।
35 वर्षीय गर्ग एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। एक चयन प्रक्रिया के माध्यम से वह 2012 में सीबीआई में शामिल हुए थे और एक सहायक प्रोग्रामर के रूप में काम कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने आईआरसीटीसी के साथ काम किया था, जो 2007 से 2011 तक रेलवे की टिकट प्रणाली का संचालन करता था।