नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा इस मामले की गयी प्रगति पर असंतोष ज़ाहिर करते हुए इस मामले को सीबीआई को भेज दिया है।
इससे पहले शुक्रवार को न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस की जांच में प्रगति को ख़ारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे दिल्ली पुलिस इस मामले से बच निकलने का रास्ता ढूंढ़ रही है और जांच के नाम पर अंधेरे में तीर चला रही है।
कोर्ट ने कहा कि आज नजीब है, कल कोई और भी हो सकता है। क्या ऐसा इसलिए हो रहा है कि छात्र किसी एक राजनीतिक संगठन या समाज से है? पुलिस केवल इसलिए किसी संदिग्ध से पूछताछ करने से बच रही है क्योंकि वे किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध रखते हैं।
इतना ही नहीं कोर्ट ने टाइम्स ऑफ इंडिया में दिल्ली पुलिस के हवाले से प्रकाशित उस खबर पर भी सख्त रुख दिखाया जिसमे नजीब अहमद को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में रूचि रखने वाला बताया गया था।
कोर्ट ने कहा कि नजीब के लैपटॉप की फोरेंसिक रिपोर्ट में ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि वह आतंकी संगठन आईएसआईएस की वेबसाइट देखता था, जैसा समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है।
अदालत ने आगे कहा कि समाचार पत्रों ने पुलिस के हवाले से यह खबर लिखी है। लेकिन पुलिस इसका खंडन कर रही है। कोर्ट ने कहा कि इस बात का पता लगाना चाहिए कि यह सूचना रिपोर्टर तक कैसे पहुंची।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि क्या उसने टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्टर राजशेखर झा से जवाब तलब किया जिसने ”प्रेस में स्टोरी (आइआइएस) प्लान्ट की थी?”इस पर दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि एक रिपोर्टर से पूछा गया था, लेकिन उसने अपना सूत्र बताने से इंकार कर दिया।