डिंडोरी : किसलपुरी गाँव एक गाँव एक मंदिर लोगो की आस्था केंद्र बना हुआ है,मंदिर को संग्रक्षित और निर्माण के लिए पूरा गांव एक हो गया है। अधूरे पड़े इस मंदिर में मैय्या जी की पूजा अर्चना का दौर सुबह से ही चालू हो जाता है,मंदिर में जहा कलश रखे गए है तो वही मन्नतो के जवारे भी बुवाये गए ,ढोल मंजीरों के साथ जगराता भी 9 दिन तक किया जा रहा है,नवरात्र पर्व में बड़े उत्साह से कार्यक्रम और पूजा पाठ का दौर जारी है।
ग्रामीणों की माने तो 11 वी सदी के कल्चुरी काल से ही किसलपुरी गाव से मंदिर के 2 एकड़ से अवशेष लगातार मिल रहे है। जो आज भी स्थान में मौजूद है। मूर्तिया कितने बरस पुरानी है यह तो पुरातत्व विभाग ही बता पायेगा लेकिन इस स्थान में रखे जाने के बाद से ही स्थान सिद्ध हो गया है और मंदिर निर्माण कर इसे संग्रक्षित करने की मांग जोर पकड़ते नजर आ रही है। वही मामले की जानकारी लगने के बाद जिले के कलेक्टर अमित तोमर ने पुरातत्व विभाग को भेजने की बात कही और कहा कि साथ ही वरिष्ठ अधिकारी भी जाकर अवगत करवाएंगे।
डिंडौरी मंडला मार्ग में मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर बसे किसलपुरी गाँव में सिद्ध मूर्तियों के जमीन की खुदाई से निकलने का सिलसिला जारी है ये हम नहीं कह रहे ये बात ग्रामीणों ने बताई है। यही कारण है कि कल्चुरी काल से ही खुदाई से निकली मूर्तियों में दुर्गा,गणेश,शंकर,एवं अन्य मूर्तिया निकल रही है। बुजुर्गों की माने तो मूर्तियों उनके पूर्वजो के समय से निकलती आ रही है और इतनी सिद्ध है जिसके चलते जो भी भक्त मंदिर में आता है तो उसकी मन्नते पूरी होती है। वही महिलाओं की माने तो इस जगह में मंदिर का निर्माण कर मूर्तियों को संग्रक्षित किया जाना जरूरी है।
क्षेत्र के जनता की माने तो जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते सिंद्ध मंदिर का विकास नहीं हो पा रहा है। वही जिला के कलेक्टर अमित तोमर ने किसलपुरी में पुरातत्व विभाग की टीम भेज कर जांच करवाने की बात कही है।
@ दीपक नामदेव