अमित शाह ने कहा 33 वर्ष पहले आज ही के दिन अरुणाचल राज्य की स्थापना हुई थी। मुझे हर्ष है कि विगत 6 वर्षों में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और यहां पेमा खांडू जी के नेतृत्व में द्रुत गति से विकास कार्य हो रहे हैं। नार्थ ईस्ट भारत के लिए हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण रहा है, इस दुर्गम क्षेत्र में बसने वाली जनजातियां भारतीय संस्कृति के लिए एक श्रृंगार से कम नहीं हैं।
नई दिल्लीः केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं। लोगों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के बाद यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि अनुच्छेद 371 भी खत्म किया जाएगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा।
अमित शाह ने कहा 33 वर्ष पहले आज ही के दिन अरुणाचल राज्य की स्थापना हुई थी। मुझे हर्ष है कि विगत 6 वर्षों में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और यहां पेमा खांडू जी के नेतृत्व में द्रुत गति से विकास कार्य हो रहे हैं। नार्थ ईस्ट भारत के लिए हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण रहा है, इस दुर्गम क्षेत्र में बसने वाली जनजातियां भारतीय संस्कृति के लिए एक श्रृंगार से कम नहीं हैं।
शाह ने आगे कहा कि भारत की संस्कृति नार्थ ईस्ट की संस्कृति के बिना अधूरी ही नहीं, अपंग भी है। अगस्त में जब अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला लिया गया, तो नार्थ ईस्ट में भी अफवाहें और गलतफहमी फैलाई गई कि 370 के साथ ही 371 को भी हटा देंगे। मैं आज समग्र नार्थ ईस्ट को बताना चाहता हूं कि धारा 371 को कोई हटा नहीं सकता और न ही हटाने की किसी की मंशा है
शाह ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले तक पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के बाकी हिस्सों के साथ केवल भौगोलिक रूप से जुड़ा था, असल जुड़ाव तो मोदी सरकार में हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार चाहती है कि पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र उग्रवाद, सीमाओं को लेकर अंतर-सरकारी संघर्ष जैसी समस्याओं से मुक्त हो। गृह मंत्री अमित शाह कहा कि वर्ष 2024 में जब हम वोट मांगने जाएंगे तो तब तक पूर्वोत्तर उग्रवाद, अंतरराज्यीय संघर्ष जैसी समस्याओं से मुक्त हो चुका होगा।
चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह की राज्य की यात्रा पर आपत्ति जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि उनकी यात्रा बीजिंग की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है और आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार करती है। चीन ने कहा कि वह उनकी यात्रा का दृढ़ता से विरोध करता है।
दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानते हुए उस पर अपना दावा करता है और भारत के किसी भी नेता की इस पूर्वोत्तर राज्य की यात्रा पर आपत्ति जताता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने एक प्रश्न के उत्तर में यहां ऑनलाइन मीडिया से कहा कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से के बारे में या चीन के तिब्बत क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से के बारे में चीन की राय बिल्कुल स्पष्ट और अपरिवर्तित है।
उन्होंने कहा कि चीन की सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी और वह चीन के तिब्बती क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में भारतीय नेता की यात्रा का विरोध करता है क्योंकि इसने चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन किया है, सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिरता को कमतर किया है, आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार किया है और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है।
प्रवक्ता ने कहा कि चीनी पक्ष भारतीय पक्ष से सीमा के मुद्दे को और जटिल बनाने वाली ऐसी किसी प्रकार की कार्रवाई को रोकने और सीमाई क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए ठोस कार्रवाई करने की अपील करता है। गौरतलब है कि 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा तक भारत-चीन सीमा विवाद है।
चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के हल के लिए विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत के 22 दौर हो चुके हैं।